पानी की बूँदे
रिम-झिम छलक रही है बूँदे ,
चारो और अंँधेरा छा रहा था ।
आकाश में बिजली चमक रही है ,
चारों तरफ पानी-पानी ही देखाई दे रहा है ।
बदलो की ग़ज़ल,
बिजली की तड़प बहुत है ।
जब बू़ँद-बुँद पानी को तरसे,
तब पानी ही ना मिले ।
मेंढक कूद रहे हैं छल-छल पानी में ,
शीतल सी हवा चल रही है ।
रिम-झिम करके पानी आया ,
सुहाना मोसम हो रहा था ।
बच्चे-बूढे खिल-खिला रहे थे,
कहीं-न-कहीं मोर नाच रहे थे ।
बादल आकाश को घिर के चल रहे,
कभी-कभी लगता है बूँद बहुत सुहानी है।
फसल हमारी लेहरायेगी इस तरह ,
हिलाते-डुलते बादल आए,
इधर से उधर साथ अपने पानी की बूँदे लाया ।