पानी का महत्व
प्राकृतिक संसाधनों में जल एक ऐसा आधारभूत संसाधन है, ज़िसके बिना पृथ्वी तल पर जीवन की कल्पना असंभव है ! अगर देखा जाए तो हमारे देश में लगभग 20 करोड़ लोगों को पीने के लिए साफ पानी नहीं मिल पाता है और पूरे विश्व में यह आंकड़ा 1.30 अरब का और दुनिया भर में लगभग हर रोज लगभग को 6 अरब लोगों की मौत अशुद्ध पानी पीने से हो जाती है ! पृथ्वी पर जितना भी पानी मौजूद हैं उसका 97 प्रतिशत भाग खारा है सिर्फ 3% हिस्सा ही पीने योग्य पानी का है इसमें से भी 2% पानी बर्फ के रुप मे हैं ! यानि हमारे पास पीने योग्य पानी सिर्फ 1% ही हैं ! वहीं विश्व में प्रति 10 व्यक्तियों में से 2 व्यक्तियों को पीने का शुद्ध पानी नहीं मिल पाता है ! आज ग्लोबल वार्मिंग के कारण जल और वायु सर्वाधिक प्रभावित हुए हैं ! तापमान की अधिकता के कारण दुनिया भर के ग्लेशियर बड़ी तेजी से पिघल रहे हैं इसका सबसे बड़ा कारण शुद्ध जल भंडारों के क्षरण के रूप में होगा ! इनकी पिघलने से नदियों में पहले तेज बाढ़ आ जाएगी और फिर सूखने लगेगी ! नदियों और अन्य जलाशयों में पानी की उपलब्धता कम हो जाएगी और पानी के लिए हाहाकार मच जाएगा ! इन दिनों अफ्रीका के अनेक देश दूषित पानी पीने के लिए मजबूर है जिसका परिणाम यह है कि वहां के लोग अनेक रोगों से ग्रसित हैं ! विश्व स्तर पर पर्यावरण और पानी बचाने के लिए अनेक सम्मेलन होता हैं ! इसमे बड़े-बड़े नेता इसके लिए राय भी देते हैं तमाम तरह के कानून बनाते हैं लेकिन जमीनी स्तर पर इसे लागू नहीं कर पाते जिसका परिणाम है कि लगातार जल संकट गहराता जा रहा है ! जिस स्तर से जनसंख्या बढ़ रही है पानी की मांग उतनी ही बढ़ती जा रही हैं ! एक अध्ययन से पता चला है कि सन 2025 तक विकासशील देशों में पानी की मांग मे 50 फिसदी की व्रिधि हो जायेगी जबकि विकसित देशों में पानी की खपत में 18 फ़ीसदी की बढ़ोतरी होगी ! जब पानी की उपलब्धता कम हो जाएगी तब स्वभाविक है कि पाने के लिए लोग आपस में लड़ेंगे सभी देश यही कोशिश कर रहे हैं की जो भी नदियां हैं उन्हें अपने देश की दिशा में मोड़कर अधिक से अधिक पानी का उपयोग कर सकें ! जिससे दूसरे देश को मिलने वाला पानी बंद हो जा रहा है पानी के बंटवारे को लेकर कई देशों के बीच विवाद उढ़ने भी शुरू हो चुके हैं ! यदि इस स्थिति को समय रहते नहीं सुधारा गया तो सचमुच तीसरा विश्व युद्ध पाने के लिए ही होगा ! भविष्य में जल संकट से निजात पाने के लिए सरकारी और व्यक्तिगत दोनों ही स्तर पर प्रयास होना चाहिये ! विकसित और विकासशील देश आपसी समझौते के तहत कार्बन उत्सर्जन की मात्रा कम कर के ग्लोबल वार्मिंग को नियंत्रित कर सकते हैं ! इससे ग्लेशियरो का पिघलना कम होगा और जल संकट भी दूर हो सकेगा ! इसलिए जीवन को बचाने के लिए पानी का संरक्षण अति आवश्यक है ! इससे निष्कर्ष निकलता है कि जल से जल संसाधन का उपयोग करें , दुरुपयोग नहीं !
कहा गया है कि …….
“जल जीवन का अनमोल रतन,
इसे बचाने का करो जतन !”