पानी का गंभीर होता संकट
पानी हमें कुदरत की तरफ से बखस्या ऐसा अनमोल अमृत है जिस के करके ही धरती पर जीवन पाया जाता है, पानी की अनुपस्थिति करके ओर ग्रहों पर जीवन नहीं ढूँढा जा सका। पानी हमारे जीवन की प्राथमिक ज़रूरतों में से एक अति ज़रूरी तरल पदार्थ है जिस से बिना कोई भी प्राणी जीवित नहीं रह सकता। पानी पीने से आधार ओर अनेकों ही रोज़ -मरा के कामों के लिए इस्तेमाल करा जाता है। अब देश भर में जैसे -जैसे गर्मी ज़ोर पकड़ती जा रही है, वैसे -वैसे पानी के संकट पर भी बेचारा भी होने लग पड़ीं हैं। ख़ास कर बड़े -बड़े सहरें में पानी की समस्या उत्पन्न होने लगी है जिस सम्बन्धित आए दिन अखबारों में खबरें पढ़ने को मिलती हैं वहाँ ही पानी के संकट को ले कर कुछ खोजी संसथावा और अलग -अलग माहिरों की तरफ से समय -समय और चेतावनियाँ भी जारी की जातीं हैं कि यदि हम पानी की इस तरह ही दुरुपयोग करते रहे और पानी की सह संभाल न की तो आने वाले समय में पीने वाले पानी का गभीर संकट पैदा हो सकता है। उपग्रह प्रणाली के अध्यान परन्तु आधारित एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत बहुत जल्दी पानी की भारी समस्या में से गुज़र सकता है।
दुनियां भर के 500,000 बाँध पर किये एक अध्ययन के अनुसार भारत, पाकिस्तान, इराक और स्पेन आदि देशों में पीने वाले पानी का गंभीर संकट पड़ता हो सकता है। धरती निचले जल -भंडारों में पानी लगातार कम रहा है क्योंकि एक तरफ़ धरती में से बेहताशें पानी निकाला जा रहा है। दूसरे तरफ़ वृक्षों की अंधाधुंध कटाई और जंगलों नीचे क्षेत्रफल दिनों -दिन कम हो रहा है जिस कारण बारिश पड़ने बहुत कम हो गए हैं I बारिश घटने के कारण आज -कल खेती भी ज़्यादातर धरती के निचले पानी के साथ ही की जाने लगी है। ? मकान उसारी वालों कंपनियाँ और कई फ़ैक्टरियाँ की पानी के संकट को बढ़ाने में पूरा योगदान डाल रही हैं I
वर्ल्डसस रिसोरसस इंस्टीट्यूट (डबल्यू. आर.आई) के अनुसार बढ़ती माँग, कुप्रबंध और जलवायु की तबदीली के कारण कई देश पानी के संकट के साथ जूझ सकते हैं। अमरीका स्थित वातावर्ण संगठन, डेलटारेस, डच्च सरकार और ओर साझेदारा के साथ मिलकर पानी और सुरक्षा सम्बन्धित मिली पूर्व चेतावनी पर काम कर रहा है जिसका मकसद सामाजिक स्थिरता, आर्थिक नुक्सान और सीमा पार घुसपैठ का अंकलन करना है। एक रिपोर्ट में बताया गया है कि पिछले साल कम बारिश की वजह कारण मध्य प्रदेश के बाँध इंदिरा सागर के ऊपरी हिस्से में पानी अपने सब से निचले हिस्से में पहुँच गया है। जब इसकी भरपायी के लिए निचले क्षेत्र में स्थित सरदार सरोवर जल -भंडार में से पानी लिया गया तो इसको ले कर भी काफ़ी बवाल मच गया। दरअसल इस जल भंडार में से लगभग 30 करोड़ लोगों के पीने का पानी प्रबंध किया जाता है। पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान आदि भारत के राजा में पानी को ले कर अक्सर राजनीतिक जंग चलती रहती है क्योंकि पानी के साथ स्थानिक लोगों की ज़िंदगी जुड़ी है l
समाज संसथावा पानी की साभ -संभाल के लिए लोगों को जागरूक कर रही हैं I कुछ समय पहले गुजरात सरकार ने भी किसानों को धान की फ़सल न लगाने की अपील की थी। पंजाब में भी ऐसी अपील अक्सर होती हैं और फ़सली चक्कर को तोड़ने की बात की जाती है परंतु जिस का प्रभाव कम ही होता है।’पानी संकट का इकलौता कारण यह नहीं है कि बारिश की मात्रा कम होती जा रही है। इज़रायल जैसे देशों में जहाँ वर्षा का औसत 25 सैं.मी. से भी कम है, वहां भी जीवन चल रहा है। वहां पानी की एक बूँद भी व्यर्थ नहीं जाती। वहां पानी की पबंध तकनीक अति विकसित होने के कारण पानी की कमी का एहसास नहीं होने देती। भारत में 15 प्रतिशत पानी का इस्तेमाल होता है, बाकी पानी बहकर समुद्र में चला जाता है। शहरों और उद्योगों में से निकलने वाले हानिकारक पदार्थ को नदियों में गिरा दिया जाता है जो कि पानी को प्रदूषित करके पीने लायक नहीं रहने देताI पानी के बढ़ते संकट को देखते कहा जा सकता है कि जैसे आज संसार में तेल के लिए लड़ाई हो रही है। भविष्य में कहीं ऐसा ना हो कि संसार में पानी के लिए लड़ाई हो जाये।
मनदीप गिल्ल धड़ाक
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