Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
26 May 2024 · 1 min read

पाठशाला कि यादें

पाठशाला के वो दिन बडे़ सुहाने होते हैं,
जिन्हें याद करके अब आँख में आसु भर आते हैं…..
जिंदगी के सफर में नये दोस्त तो बहोत मिलते हैं,
लेकीन पाठशाला के वो पुराने दोस्त दिल से जिन्दगीभर नहीं जाते हैं……
मँथस-इंग्लिश से तो अपनी कभी जमी नहीं थी,
इतिहास-भुगोल सामने आते ही दुनिया
गोल-गोल घुम जाती थी…….
पाठशाला जाने का बहोत कंटाला आता था,
पर दोस्तों के चेहरे याद करके जाने का
मन भी करता था……
एक ही टिचर थी कई सालों से, पर वो अब टिचर नहीं, उनमें मुझे मेरी मांँ दिखाई
देती थी……..
माँ जैसे ही डांटती थी, और उन्हीं की तरह
प्यार से समझाती भी थी……
बीच की छुट्टी का तो अंदाज ही निराला था,
पुरे दुनियाभर का स्वाद उन बिस मिनट में
चख लिया ऐसा लगता था………
सब के डब्बे से अलग-अलग सब्जी खाकर
मन त्रृप्त हो जाता था, उसी के लिये तो
पाठशाला जाने का मन भी करता था…..
होमवर्क तो कभी पुरा नहीं करते थे,
सालभर टिचर की डाँट सुना करतें थे,
पर नोटबुक को भी मार्क्स मिलेंगे ये सुनते ही
रात-रात भर जाग कर आखरी परिक्षा से पहले नोटबुक पुरा करते थे……
उन्हीं कक्षाओं में, उन्हीं दोस्तों के साथ, उन्हीं
टिचर के साथ, फिर से जीना चाहती हुँ,
लेकिन पाठशाला के वो दिन लौटके नहीं
आते है,
बस एक याद बनकर हमेशा के लिये दिल में
रहते हैं, ये सोच कर मन ही मन रोती हुँ……

36 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
लाल उठो!!
लाल उठो!!
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
नदी की बूंद
नदी की बूंद
Sanjay ' शून्य'
सोच
सोच
Shyam Sundar Subramanian
आशीर्वाद
आशीर्वाद
Dr Parveen Thakur
"वक्त" भी बड़े ही कमाल
नेताम आर सी
डर
डर
Sonam Puneet Dubey
दीप में कोई ज्योति रखना
दीप में कोई ज्योति रखना
Shweta Soni
तू मिला जो मुझे इक हंसी मिल गई
तू मिला जो मुझे इक हंसी मिल गई
कृष्णकांत गुर्जर
"किसान"
Slok maurya "umang"
दीप जलाकर अंतर्मन का, दीपावली मनाओ तुम।
दीप जलाकर अंतर्मन का, दीपावली मनाओ तुम।
आर.एस. 'प्रीतम'
प्रकृति ने चेताया जग है नश्वर
प्रकृति ने चेताया जग है नश्वर
Buddha Prakash
जीनी है अगर जिन्दगी
जीनी है अगर जिन्दगी
Mangilal 713
जीवन को
जीवन को
Dr fauzia Naseem shad
दूर जा चुका है वो फिर ख्वाबों में आता है
दूर जा चुका है वो फिर ख्वाबों में आता है
Surya Barman
कठोर व कोमल
कठोर व कोमल
surenderpal vaidya
"चुनाव के दौरान नेता गरीबों के घर खाने ही क्यों जाते हैं, गर
गुमनाम 'बाबा'
बस जाओ मेरे मन में , स्वामी होकर हे गिरधारी
बस जाओ मेरे मन में , स्वामी होकर हे गिरधारी
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
...........,,
...........,,
शेखर सिंह
"अनमोल"
Dr. Kishan tandon kranti
*हल्दी (बाल कविता)*
*हल्दी (बाल कविता)*
Ravi Prakash
दोहा पंचक. . . नारी
दोहा पंचक. . . नारी
sushil sarna
3433⚘ *पूर्णिका* ⚘
3433⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
निष्ठुर संवेदना
निष्ठुर संवेदना
Alok Saxena
55…Munsarah musaddas matvii maksuuf
55…Munsarah musaddas matvii maksuuf
sushil yadav
Scattered existence,
Scattered existence,
पूर्वार्थ
निकाल देते हैं
निकाल देते हैं
Sûrëkhâ
एक पति पत्नी के संयोग से ही एक नए रिश्ते का जन्म होता है और
एक पति पत्नी के संयोग से ही एक नए रिश्ते का जन्म होता है और
Rj Anand Prajapati
रे ! मेरे मन-मीत !!
रे ! मेरे मन-मीत !!
Ramswaroop Dinkar
यही सोचकर इतनी मैने जिन्दगी बिता दी।
यही सोचकर इतनी मैने जिन्दगी बिता दी।
Taj Mohammad
कहाॅं तुम पौन हो।
कहाॅं तुम पौन हो।
Pt. Brajesh Kumar Nayak
Loading...