पागल
मैं खुद से खुद में बात करता हूं।
मैं पागल नहीं
मैं दूसरों से अलग दिखाता हूं।
मैं जानवर नहीं
मैं अंजान बना रहता हूं ।
लोगों की फरेब वाली दुनिया से
मैं उनसे अलग दिखाता हूं।
मैं पागल नहीं
मैं दूसरों से अलग दिखाता हूं।
सुशील कुमार चौहान
फारबिसगंज अररिया बिहार