पांव में
मुक्तक
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पांव में कांटे तनिक चुभते रहेंगे।
किन्तु राही राह में बढ़ते रहेंगे।
क्रम यही चलता रहा है जब युगों से।
लक्ष्य अपने प्राप्त सब करते रहेंगे।
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फूल जैसे मुस्कुराते हम रहेंगे।
प्रीति की प्रिय भावनाओं में बहेंगे।
पल सभी आनंद से बीते यहां पर।
मौन तोड़ें शब्द कुछ मन से कहेंगे।
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-सुरेन्द्रपाल वैद्य