आना फिर से वोट मांगने
झूठी बातों में उलझाकर
जनता को तड़पाने वालों
आना फिर से वोट मांगने
पाँच साल सिसकाने वालों
कितने अच्छे ख्वाब दिखाए
किंतु नहीं था नेक इरादा
वोट हमारा पाकर बोलो
कहाँ गया वह तेरा वादा
पेट भरा तुम सबका लेकिन
हम सबको तरसाने वालों-
आना फिर से वोट मांगने
पाँच साल सिसकाने वालों
फिर से ठगने आये हो तुम
रोजगार की वाट लगाकर
अच्छे-खासे पढ़े-लिखे अब
बेच रहे हैं चाट बनाकर
रोजगार का वादा करके
ठेलों तक पहुँचाने वालों-
आना फिर से वोट मांगने
पाँच साल सिसकाने वालों
चोर-लुटेरे भाग गए सब
पहरेदारी खूब निभाई
जनता की जेबों को देखो
काट रहे हैं तेरे चाई
बात बात में शोर मचाकर
सबकी नींद चुराने वालों-
आना फिर से वोट मांगने
पाँच साल सिसकाने वालों
तुमने ऐसी नीति बनाई
आसमान छूती महँगाई
उनको भूखे मार रहे हो
जिनको तुम कहते थे भाई
बड़े बड़े सपने दिखलाकर
बार बार भरमाने वालों-
आना फिर से वोट मांगने
पाँच साल सिसकाने वालों
वक्त बुरा आया है लेकिन
तुम तो चाँदी काट रहे हो
जाति-धर्म की आग लगाकर
इंसानों को बाट रहे हो
प्यार भरे प्यारे भारत में
नफरत यूँ फैलाने वालों-
आना फिर से वोट मांगने
पाँच साल सिसकाने वालों
रचना- आकाश महेशपुरी