पाँच मिनट – कहानी
मनोज दुग्गल अपने परिवार के साथ गोविन्द विहार में अपने परिवार के साथ रहते थे | परिवार में उनके माता – पिता , पत्नी शिवा और पुत्र गुल्लू था | दुग्गल जी की एक ही सन्तान थी गुल्लू l गुल्लू की एक गंदी आदत थी कि वह जब भी किसी का फोन आता तो यह कहकर रख देता कि बस अभी पांच मिनट में कॉल बैक करता हूँ किन्तु वो अगले पांच मिनट कभी नहीं आते l
दुग्गल जी भी गुल्लू की इस आदत से परेशान थे l इसी आदत के चलते गुल्लू के दोस्त भी कई बार गुल्लू से नाराज रहते | कई बार उसने अपनी कॉलोनी की क्रिकेट टीम के सदस्यों को भी नाराज किया | ये कहकर कि अभी पांच मिनट में कॉल बेक करता हूँ और उसके बाद उसका कोई कॉल नहीं आता | गुल्लू अपनी क्रिकेट टीम का एक ख़ास सदस्य था वह बैटिंग के साथ – साथ वह एक अच्छा बॉलर भी था | इसलिए उसकी टीम में ख़ास जगह थी | किन्तु पांच मिनट में कॉल बेक न करने की आदत से उसकी क्रिकेट टीम में खिलाड़ी कम पड़ जाते और उनकी टीम को इसका खामियाजा भुगतना पड़ता | इसका असर ये हुआ कि उसकी क्रिकेट टीम के खिलाड़ियों ने उसे कॉल करना बंद कर दिया | और दूसरे खिलाड़ी तैयार कर लिए | इसी क्रिकेट टीम में अफज़ल नाम का एक खिलाड़ी भी था जो कि एक अच्छा बल्लेबाज होने के साथ ही एक अच्छा गेंदबाज भी था | अफज़ल के खेल की भी दूर – दूर तक साख थी |
दुग्गल जी अपने बेटे गुल्लू को कई बार समझा चुके थे किन्तु गुल्लू पर किसी की बात का कोई असर नहीं होता था | गुल्लू वैसे तो पढ़ाई में ठीक था | किन्तु दुग्गल जी को अपने बेटे का क्रिकेट टीम से बाहर होना अच्छा नहीं लगा | दुग्गल जी को अपने पुत्र गुल्लू को लेकर चिंता होने लगी थी | वे अपने बेटे गुल्लू को राष्ट्रीय क्रिकेट टीम का हिस्सा बना देखना चाहते थे | वे बार – बार सोचते की आखिर क्या वजह है कि गुल्लू किसी के फ़ोन का तुरंत जवाब क्यों नहीं देता |
इसी बीच राष्ट्रीय स्तर पर क्रिकेट टीम के खिलाड़ियों का चयन होना था | राज्य स्तर पर खिलाड़ियों की सूची राष्ट्रीय चयन समिति को भेज दी गयी थी | एक दिन गुल्लू को एक फ़ोन आया | बात पूरी होती उससे पहले ही गुल्लू ने यह कहकर फ़ोन रख दिया कि अभी पांच मिनट में कॉलबेक करता हूँ | किन्तु अपनी इसी पुरानी आदत के चलते वह उस फ़ोन का जवाब देना भूल गया | राष्ट्रीय स्तर पर खिलाड़ियों के नाम की सूची जारी कर दी गयी | गुल्लू को उम्मीद थी कि उसका नाम भी सूची में आयेगा किन्तु ऐसा नहीं हुआ और उसकी जगह पर अफज़ल का नाम सूची में आया | गुल्लू के पिता को राष्ट्रीय स्तर पर उसके चयन न होने पर बहुत दुःख हुआ | उन्होंने इस बाबद राष्ट्रीय स्तर पर बात की तो पता चला कि अफज़ल से पहले गुल्लू की नाम चयनित हुआ था किन्तु उसने चयन समिति के एक सदस्य के फ़ोन का जवाब नहीं दिया इसलिए उसके स्थान पर अफज़ल का चयन किया गया |
गुल्लू को भी जब इस बात का पता चला तो उसे समझ नहीं आया कि आखिर ये सब कैसे हुआ | दुग्गल जी ने गुल्लू से पूरी बात पूछी तो पता चला कि गुल्लू हमेशा मोबाइल पर ऑनलाइन खेल खेला करता था | खेल में कोई व्यवधान न आये इसलिए वो सभी कॉलर को यही कहता कि बस पांच मिनट में कालबैक करता हूँ | इसके बाद वह कालबैक करना भूल जाता | गुल्लू ने बताया कि मुझे अफ़सोस है कि जीवन में कई बार ऐसी गलतियाँ की और उन्हें सुधारने की कोई कोशिश नहीं की | आज उसका खामियाजा मुझे इतनी बड़ी कीमत देकर चुकाना पड़ा | राष्ट्रीय स्तर पर चयन के लिए सालों की मेहनत को मैंने बेकार कर दिया | गुल्लू अपने पिता से पैरों पड़कर माफ़ी मांगता है और जल्दी ही राष्ट्रीय क्रिकेट टीम का सदस्य बनने का वादा करता है | साथ ही वह सभी बच्चों से भी गुजारिश करता है कि वे भी ऑनलाइन गेम में अपना समय व्यर्थ न गंवाएं और अपने भविष्य के साथ खिलवाड़ न करें | आप जो बनाना चाहते हैं उसी पर आपका पूरा – पूरा ध्यान केन्द्रित होना चाहिए |
दुग्गल जी इस बात से खुश थे कि इतनी बड़ी कीमत चुकाने के बाद ही सही, गुल्लू को अपनी गलती समझ आ गयी |