पाँच चौपाईयाँ
वो मोटा होता जाता है ।
वो खोटा होता जाता है ।।
वो छोटा होता जाता है ।
बस घाटा होता जाता है ।।
ना कर कर अगर मगर प्यारे l
अब आज सहज कर कर प्यारे ll
कल बगल बगल धर धर प्यारे l
सुख शान्ति, सहज भर भर प्यारे ll
जो ताला होता जाता है l
वो आला होता जाता है ll
जो काला होता जाता है l
वो छाला होता जाता है ll
ज्यादा ज्यादा बोला बोला l
है राज राज खोला खोला ll
मीठा मीठा घोला घोला l
है भरा भरा झोला झोला ll
प्रेमी भारी छैला छैला l
होता होता हल्ला हल्ला ll
जग को प्रेम लगे बला बला l
जाता जाता झल्ला झल्ला ll
अरविन्द व्यास “प्यास”