*पहाड़ से आए ज्योतिषियों ने बसाया रामपुर का ‘मोहल्ला जोशियान
पहाड़ से आए ज्योतिषियों ने बसाया रामपुर का ‘मोहल्ला जोशियान’
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लेखक: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा (निकट मिस्टन गंज), रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451
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ऐतिहासिक दृष्टि से ठीक समय का आकलन करना तो कठिन है लेकिन आज दिनांक 26 नवंबर 2024 मंगलवार को जब ज्योतिष परंपरा के कुछ महानुभावों से हमारी बातचीत हुई तो यह तथ्य प्रकाश में आया कि इन ज्योतिषियों के पूर्वज नवाबी शासनकाल में पिथौरागढ़ से रामपुर आते थे। यह भी उल्लेखनीय है कि ज्योतिषियों का ही अपभ्रंश रूप ‘जोशी’ हो गया।
रामपुर में आने वाले पिथौरागढ़ के ज्योतिषी विद्वानों की रामपुर में यजमानी थी। वह अपने यजमानों के पास आते थे। एक बार जब पिथौरागढ़ के विद्वान ज्योतिषी रामपुर आए तो उन्होंने तत्कालीन नवाब साहब को बताया कि रामपुर में भयंकर प्राकृतिक आपदा आने वाली है। बात सही निकली। संभवतः वह प्राकृतिक आपदा भूकंप के रूप में आई थी। नवाब साहब पिथौरागढ़ के विद्वान ज्योतिषी से प्रभावित हुए। उनसे निवेदन किया कि आप रामपुर में बस जाएं और रियासत पर किसी भी खतरे के मॅंडराने से पहले ही हमें सचेत कर दिया करें। परिणामत: ज्योतिषी महोदय को रामपुर में निवास के लिए एक स्थान प्रदान किया गया जो कालांतर में ‘मोहल्ला जोशियान’ अथवा ‘जोशियों का मोहल्ला’ कहलाया
मोहल्ला जोशियान में धीरे-धीरे पिथौरागढ़ से ही कई ज्योतिषी आकर रहने लगे। यह समस्त ज्योतिषी ज्योतिष-शास्त्र के ज्ञाता थे। उनके पास ज्योतिष की पुस्तकें भी थीं । पीढ़ी दर पीढ़ी यह पुस्तकें सुरक्षित रखी गईं। लेकिन वर्ष 2007 के आसपास मोहल्ला जोशियान में लगी। आग में यह समस्त प्राचीन ग्रंथ जल गए।
जोशियों को समाज में शनिवार के दिन एक पात्र (लोटे) में तेल लेकर गली-गली ‘शनि महाराज’ का नाम ऊॅंची आवाज में बोलते हुए देखा जा सकता है। जोशियों का ही एक कार्य ‘मूलों’ की शांति का भी रहता है। ज्योतिष-शास्त्र के अनुसार जन्मपत्री में अनेक बार ‘मूलों’ का दोष पाया जाता है। इस दोष को शांत करने की क्षमता भी जोशियों में ही होती है। वास्तव में मूल शांत तो तभी संभव है, जब सत्ताईस जोशी विधि-विधान से हवन आदि संपन्न करते हैं।
शनि का दान भी निश्चित प्रक्रिया के द्वारा ही दिया जाता है। इसमें एक पात्र में तेल लेकर उस पात्र को सिर से पॉंव तक सात बार क्रम से प्रक्रिया अपनाते हुए दानदाता द्वारा जोशी को दान दिया जाता है। दानकर्ता इस समय अपने मुख से कहता है:
ओम शनिश्चराय देवाय नमः/ नवग्रह शांति नमः /राहु केतु शनि शांति नमः /सूर्य चंद्र नक्षत्र शांति नमः ।
बदलते हुए आर्थिक-सामाजिक परिवेश में इने-गिने पहाड़ी जोशी ही परंपरागत रूप से जोशी के कार्य का निर्वहन कर रहे हैं। इनके बच्चे शनिवार को हाथ में तेल से भरा हुआ लोटा लेकर गली-गली दान प्राप्त करने के इच्छुक नहीं रहे। एक बार एक जोशी का पुत्र उत्साह में भरकर हाथ में तेल का लोटा लेकर निकला भी; तो संयोगवश जिस घर का दरवाजा उसने खटखटाया, उसके भीतर से उसका विद्यालय का सहपाठी बाहर आया और पूछने लगा क्या बात है, कैसे आए ? जोशी-पुत्र ने कोई बहाना बनाया और उसके बाद कभी जोशी का काम नहीं किया।
जोशियों के बच्चे इस कार्य से हटकर आधुनिक शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। लड़कियॉं विशेष रूप से पढ़-लिख रही हैं । इन जोशियों की आने वाली पीढ़ियॉं विद्या मंदिर राधा रोड तथा कृष्णा मोंटेसरी स्कूल ज्वालानगर आदि में शिक्षा ग्रहण कर रही हैं। थोड़ा-बहुत पढ़ लिख चुके कुछ बच्चे बिजली आदि का कार्य सीख रहे हैं। वर्तमान में जोशी के कार्य में संलग्न महानुभावों की यही इच्छा है कि वह परंपरा से हटकर अपने बच्चों को रोजगार की दृष्टि से आत्मनिर्भर बना सकें।
इन लोगों का मानना है कि जो विद्वत्ता हमारे पहाड़ से रामपुर आकर बसे पूर्वजों में थी, उसका धीरे-धीरे अध्ययन-वृत्ति के अभाव में क्षय होता चला गया। अब पुरानी ज्योतिष-ज्ञान की असाधारण दक्षता की बातें एक स्वप्न बनकर रह गई हैं। न इन जोशियों के पास ज्ञान प्रदान करने वाली पुस्तकें बची हैं, न ज्ञानदाता गुरु हैं और न ही इनका ज्योतिष-शास्त्र के संबंध में कोई विधिवत अध्ययन ही है। एक पीड़ा इनके मन में अवश्य रहती है कि काश पिथौरागढ़ से आरंभ हुई पर्वतीय ज्योतिष-ज्ञान की परंपरा का रामपुर के जोशियों ने निर्वहन किया होता, तो आज जोशियों का वर्तमान और भविष्य कुछ और ही स्वर्णिम होता।
संदर्भ:
सर्वश्री राजू जोशी (आयु लगभग 55 वर्ष), धीरज जोशी (आयु लगभग 40 वर्ष), नीरज जोशी (आयु लगभग 40 वर्ष) से दिनांक 26 नवंबर 2024 मंगलवार को लेखक रवि प्रकाश की बातचीत पर आधारित लेख