Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
17 Dec 2024 · 2 min read

पहाड़ों मा पलायन

अपणी चौक डिंड्याली छोड़ी नौखम्बा तिवारी छोड़ी,
सभी लोगोंन एक ही साथ मां अपणूं गों गुठ्यार छोड़ी।

उभी बखत थौ सभी लोग जब,
डोखरी पोक्ण्यों ज्यादा थैई।
रोपणी, मण्डवार्ती गोंडण मा ही,
ख़ुशी ख़ुशी जीवन जींदा थैई।।

ग्वैर छोरा भी गौरु बाखर्यों मा,
बणू पाख्यों मा नाचदा थैन।
भांति – भांति का खेल खेलीक,
वख खाणु लाणु भी करदा थैंन।।

कभी काखडी मूगंरी कि चोरी करीकी,
गाली भी खूब ही खांदा थैन।
पर गारा, चुली भांडी,खेल खेलीक,
मस्त भी खुब ही रांदा थैन।।

गौं की बेटी ब्वारी धाण काज मा,
पोग्णयों मा गीतू लांदी थैई।
मोल मोलार्ती घास कटार्ती मा,
हैंसी हैंसी जीवन जींदी थैई ।।

गौं का बैख भी कौ कारज मा,
सबसी अगनै रैंदा थैन।
लकड़ी फड़ै मा बेदी चिणैंमा,
पाणी सरै मा लग्या रैंदा थैन।‌‌।

गौं का दाना सयाणा भी,
छज्जा मोर्यों मा बैठ्यां रैंदा थैन।
बीड़ी हुक़्क़ा का साथ मजी,
नई पीढ़ी तैं बतोंदा रैंदा थैन।।

वै वक्त मा लड़ै भीड़ै भी
हल्का मन सी ही होंदी थैई।
फिर कौ कारज‌‌‌ मा सुख मा दुख मा,
सब एकसाथ ह्वैजांदा थैई।।

बार त्योहारों मा रांसू तांदी,
मूल्कों मा लगदी रैंदी थैन।
रामलीला अर पांडौं नाच भी,
रातों रातों भर होंदू रैणू थैन।।

खुजांणी किलै यनू बखत आई,
पैसोंन सबकू मन लूभाई।
पढणूक क्वी नौकरी का बाना,
सभून अपणूं गौं छोड़ी द्यायी ।।

अब सब दाना सयाणा भी,
नौजवान अर छोटा बाला भी।
गौं जाणक सभी तरसदा छन,
यकुली यकुली सभी रौंदा छन।।

यू हम लोगों की भी गलती नी,
मजबूरी भी यनी ही बणी गैन ।
पर फिर भी अपणा गौं न भूल्यान,
बार त्योहारों मा त गौं ही जान।।

अब गौं की याद त समलौंण्या वैगी,
गौं त बस अब नौं कू रैगी।
पर फिर भी हे पहाड़ों का लोगों,
अपणी बोली भाषा संस्कृति नी छोडणू ।
आपणी बोली भाषा संस्कृति नी छोडणू।।
अपणी बोली भाषा संस्कृति नी छोडणू।।

दुर्गेश भट्ट

1 Like · 9 Views

You may also like these posts

गीत ( भाव -प्रसून )
गीत ( भाव -प्रसून )
डॉक्टर वासिफ़ काज़ी
# कुछ देर तो ठहर जाओ
# कुछ देर तो ठहर जाओ
Koमल कुmari
"आंखों के पानी से हार जाता हूँ ll
पूर्वार्थ
*दादी चली गई*
*दादी चली गई*
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
गुरु तेगबहादुर की शहादत का साक्षी है शीशगंज गुरुद्वारा
गुरु तेगबहादुर की शहादत का साक्षी है शीशगंज गुरुद्वारा
कवि रमेशराज
सरसी
सरसी
Dr.VINEETH M.C
"असफलता"
Dr. Kishan tandon kranti
हर वर्ष जला रहे हम रावण
हर वर्ष जला रहे हम रावण
Dr Manju Saini
किसे कुछ काम नहीं रहता है,
किसे कुछ काम नहीं रहता है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
पितृपक्ष
पितृपक्ष
Neeraj Agarwal
पोलियो अभियान
पोलियो अभियान
C S Santoshi
सुंदरता हर चीज में होती है बस देखने वाले की नजर अच्छी होनी च
सुंदरता हर चीज में होती है बस देखने वाले की नजर अच्छी होनी च
Neerja Sharma
इश्क में हमको नहीं, वो रास आते हैं।
इश्क में हमको नहीं, वो रास आते हैं।
सत्य कुमार प्रेमी
🥀 *अज्ञानी की✍*🥀
🥀 *अज्ञानी की✍*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
हमें खुद से बैर क्यों हैं(आत्मघात)
हमें खुद से बैर क्यों हैं(आत्मघात)
Mahender Singh
..
..
*प्रणय*
नागिन
नागिन
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
अफ़सोस इतना गहरा नहीं
अफ़सोस इतना गहरा नहीं
हिमांशु Kulshrestha
इश्क की अब तलक खुमारी है
इश्क की अब तलक खुमारी है
Dr Archana Gupta
न कोई काम करेंगें,आओ
न कोई काम करेंगें,आओ
Shweta Soni
सार छंद विधान सउदाहरण / (छन्न पकैया )
सार छंद विधान सउदाहरण / (छन्न पकैया )
Subhash Singhai
मुक्तक 3
मुक्तक 3
SURYA PRAKASH SHARMA
नम्बर ह बखोर के
नम्बर ह बखोर के
सिद्धार्थ गोरखपुरी
#धर्मराज 'युधिष्ठिर' का जीवन चरित्र
#धर्मराज 'युधिष्ठिर' का जीवन चरित्र
Radheshyam Khatik
- जीवन की यह रेलगाड़ी -
- जीवन की यह रेलगाड़ी -
bharat gehlot
तितली
तितली
Indu Nandal
सत्य की खोज
सत्य की खोज
MEENU SHARMA
हर जमीं का कहां आसमान होता है
हर जमीं का कहां आसमान होता है
Jyoti Roshni
3318.⚘ *पूर्णिका* ⚘
3318.⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
*गाते हैं जो गीत तेरे वंदनीय भारत मॉं (घनाक्षरी: सिंह विलोकि
*गाते हैं जो गीत तेरे वंदनीय भारत मॉं (घनाक्षरी: सिंह विलोकि
Ravi Prakash
Loading...