पहाड़ा छंद
लिख दूँ
या रहने दूँ ….
निलय के माथै को चूमने की बात का अर्थ
ओ समर्थ
तुम जानते हो
मानते भी हो ।
तुम्हारा सूरज पर थूकना
तुम्हारे माथे पडेगा
और चुम्बन तरल हो
फिसल कर फिर से
चूमने वालेऔंठों पर
वापस आन थमेगा ।
लिख दूँ
या रहने दूँ ….
निलय के माथै को चूमने की बात का अर्थ
ओ समर्थ
तुम जानते हो
मानते भी हो ।
तुम्हारा सूरज पर थूकना
तुम्हारे माथे पडेगा
और चुम्बन तरल हो
फिसल कर फिर से
चूमने वालेऔंठों पर
वापस आन थमेगा ।