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16 Oct 2023 · 1 min read

गांव मेरा क्या पहले जैसा है

मेरे मौहल्ले की हवा वही है,
लेकिन अब हवा का रुख अलग है ।

मेरे गांव की गली वही है,
लेकिन गली का आवो – हवा अलग है ।

मेरे गांव की चौपाल वही है,
लेकिन चौपाल पर बैठे चेहरे अलग हैं ।

मेरे गांव से शहर की दूरी वही है,
लेकिन उस दूरी के बीच की उलझन अलग है ।

मेरे शहर का नाम वही है,
लेकिन नाम के साथ बदनामी का दाग अलग है ।

मेरे शहर के गली मौहल्ले वही हैं,
लेकिन उन गली , मोहल्लों की रौनक अलग है ।

मेरे शहर के चौक ,चौराहे वहीं हैं,
लेकिन उन चौक ,चौराहों की बरकत अलग है ।

जब सब कुछ पहले जैसा है,
तो फिर आपस में भाईचारा की कमी क्यों।

जब सब कुछ पहले जैसा है,
तो फिर समाज में नफ़रत का बीज क्यों ।

जब सब कुछ पहले जैसा है,
तो गांव,कस्बे,शहर,प्रदेश और देश में दंगे क्यों ।

Language: Hindi
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