पहले ग़ज़ल हमारी सुन
पहले ग़ज़ल हमारी सुन
बाद में ग़ज़लें सारी सुन
चढ़ , पर्बत की चोटी पर
मन की पंख पसारी सुन
हर मन्तर से बढ़कर है
मां की नज़र उतारी सुन
बैठ कभी मैख़ाने में
रिन्दों की हुशियारी सुन
कौन यहां है साधक सिद्ध
सभी यहां संसारी , सुन
…शिवकुमार बिलगरामी