पहले खुद संभलिए,
पहले खुद संभलिए,
फिर हमको संभालिए।
हम कैसे जी लेंगे आपके बिना,
दिल से ये अपने ख्याल निकालिए।
रात दिन सोचते हैं बस आपको,
आप भी अब हमारी आदत डालिए।
न खेलो दिल से हमारे शीशा है ये पत्थर नहीं,
इसे न ऐसे उछालिये।
तुझे भूल जायेंगे हम कभी ये न सोचना,
न कोई ऐसी गलतफहमी पालिए।
हम तो ढल चुके हैं तेरे प्यार के रंग में,
आप भी सब छोड़कर हमारी मोहब्बत में खुद को ढालिए।