Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
10 Oct 2024 · 1 min read

पहले क्रम पर दौलत है,आखिर हो गई है रिश्ते और जिंदगी,

पहले क्रम पर दौलत है,आखिर हो गई है रिश्ते और जिंदगी,
सिक्कों की चमक में सब खो गए,
कहां ढूंढे अब हम वो अपने लोग, जिनसे थी कभी बंदगी।।

जिन हाथों ने थामा था,आज उनमें खोट क्यों है?
जो दिल कभी हमारे थे,आज उनकी धड़कन में रोट क्यों है?

अब सबकी नजरें बस जोड़-तोड़ पर,सच्चे रिश्तों की कीमत आधी,
पहले जो थी बातें दिल की,अब बस रह गई हैं खामोश यादें आधी।।

पहले क्रम पर दौलत है,आखिर हो गई है रिश्ते और जिंदगी,
मशहूर हैं लोग अपनी बातें कहने में,पर कौन सुनता है किसी की सच्ची बंदगी?”

48 Views

You may also like these posts

यूंही नहीं बनता जीवन में कोई
यूंही नहीं बनता जीवन में कोई
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
मन
मन
Harminder Kaur
छठ व्रत की शुभकामनाएँ।
छठ व्रत की शुभकामनाएँ।
Anil Mishra Prahari
हम जो कहेंगे-सच कहेंगे
हम जो कहेंगे-सच कहेंगे
Shekhar Chandra Mitra
और एक रात! मध्यरात्रि में एकाएक सारे पक्षी चहचहा उठे। गौवें
और एक रात! मध्यरात्रि में एकाएक सारे पक्षी चहचहा उठे। गौवें
पूर्वार्थ
वास्तविकता से परिचित करा दी गई है
वास्तविकता से परिचित करा दी गई है
Keshav kishor Kumar
जय माँ हंसवाहिनी।
जय माँ हंसवाहिनी।
Priya princess panwar
भगवान ने कहा-“हम नहीं मनुष्य के कर्म बोलेंगे“
भगवान ने कहा-“हम नहीं मनुष्य के कर्म बोलेंगे“
कवि रमेशराज
दिल के पहरेदार
दिल के पहरेदार
C S Santoshi
शर्मनाक हरकत
शर्मनाक हरकत
OM PRAKASH MEENA
बिखरे सपने
बिखरे सपने
Kanchan Khanna
शेर
शेर
पाण्डेय नवीन 'शर्मा'
पूर्णिमा की चाँदनी.....
पूर्णिमा की चाँदनी.....
Awadhesh Kumar Singh
ऐ गंगा माँ तुम में खोने का मन करता है…
ऐ गंगा माँ तुम में खोने का मन करता है…
Anand Kumar
*लता (बाल कविता)*
*लता (बाल कविता)*
Ravi Prakash
Dekho Bander bantta
Dekho Bander bantta
विनोद सिल्ला
ॐ दधिशंखतुषाराभं क्षीरोदार्णव संभवम्।
ॐ दधिशंखतुषाराभं क्षीरोदार्णव संभवम्।
Shashi kala vyas
कहीं तीसी फुला गईल
कहीं तीसी फुला गईल
कुमार अविनाश 'केसर'
जय
जय
*प्रणय*
अब हाथ मल रहे हैं
अब हाथ मल रहे हैं
Sudhir srivastava
5.वर्षों बाद
5.वर्षों बाद
Lalni Bhardwaj
प्यार मेरा बना सितारा है --
प्यार मेरा बना सितारा है --
Seema Garg
ग्रुप एडमिन की परीक्षा प्रारंभ होने वाली है (प्रधानाचार्य इस
ग्रुप एडमिन की परीक्षा प्रारंभ होने वाली है (प्रधानाचार्य इस
Ashwini sharma
जख्म सीनें में दबाकर रखते हैं।
जख्म सीनें में दबाकर रखते हैं।
अनुराग दीक्षित
जमाने से विद लेकर....
जमाने से विद लेकर....
Neeraj Mishra " नीर "
मैं अक्सर तन्हाई में......बेवफा उसे कह देता हूँ
मैं अक्सर तन्हाई में......बेवफा उसे कह देता हूँ
सिद्धार्थ गोरखपुरी
सोचके बत्तिहर बुत्ताएल लोकके व्यवहार अंधा होइछ, ढल-फुँनगी पर
सोचके बत्तिहर बुत्ताएल लोकके व्यवहार अंधा होइछ, ढल-फुँनगी पर
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
*ग़ज़ल*
*ग़ज़ल*
आर.एस. 'प्रीतम'
" जिन्दगी की राहों में "
Dr. Kishan tandon kranti
पेड़ लगाना‌
पेड़ लगाना‌
goutam shaw
Loading...