पहला दिन
माता पिता द्वारा प्रदत सुविधाओं का आधुनिक पीढ़ी न केवल दुरुपयोग किया जाता है अपितु विश्वास और मूल्यों को भी टूटते हुये देख सकते हैं।पढिये ‘पहला दिन’ और यथा संभव टिप्पणी कीजिये::–
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पहला दिन
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निधिका वर्मा संपन्न परिवार की पुत्री थी।अच्छे अंकों से बारहवीं पास किया तो शहर के अच्छे कालेज में प्रवेश निश्चित हो गया।कालेज जाने का पहला दिन था निधिका ख़ूब सजसंवर कर अपनी माता के पास गई और पूछा,”कैसी लग रही हूं,माम?” माता ने अपनी बेटी का माथा चूमा और कहा,”मेरी बेटी दुनियाँ में सबसे सुंदर है।””और आपको अपना प्रमिस याद है, कि भूल गई हो और मैं याद दिलाउं!” निधिका ने इठलाते हुये कहा। “यह कैसे हो सकता है?ये लो तुम्हारा ईनाम!संभाल कर रखना ।और सुनो इसका दुरुपयोग न हो।यह संपर्क सूत्र है न कि उच्छ्रखंलता करने के लिये और तुम्हारा पढ़ाई से ध्यान ही भटक जाये।ब्लैकबेरी का है सबसे नया माडल।”माता ने नये फोन का डिब्बा उसके हाथ में थमा दिया।
निधिका जैसे सातवें आसमान में उड़ी जा रही थी अपनी सहेली को दिखाने को बेताब हो रही थी , “ड्राइवर,कनिका के उधर से निकाल लेना,वह भी हमारे साथ जायेगी।”जब दो नव यौवनायें मिलीं को निधिका ने दिल खोल दिया।वह बोली,”देख कनिका मेरी ममा ने मुझे मोबाईल दिया।यह ब्लैक बेरी है लेटेस्ट माडल।अब हम जब मर्ज़ी बात कर लिया करेंगे।” कनिका के पास पहले ही फोन था।निधिका का फोन हाथ में लेकर बोली,”पहले इसकी एप डाउनलोड करो;फेसबुक,व्हाटस एप,मैसेंजर ,ज़ूम और भी जो अच्छी लगे वो कक् सेना।” निधिका बड़ी उत्साहित थी।उसने कालेज पहुँचने तक सारी एप्स डाउनलोड कर ली थी।कनिका अपनी कक्षा में चली गई और गेट रे अंदर पहुँचते ही उसने पहला नंबर मिलाया,” साहिल कहां हो? मैं मेन गेट के पास हूँ ।आ जाओ।चलो कालेज का पहला दिन सैविब्रेट करते हैं!!”माता को दिया वायदा और माता का विश्वास आधुनिकता की बलि चढ़ गया था।
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राजेश’ललित’