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26 May 2023 · 1 min read

पहला कदम

पहला कदम रखा नहीं और मान गए क्यों हार तुम,
ज़िंदगी में हर कदम पर हो रहे क्यों उदाश तुम,
माना कि ज़िंदगी में है हर तरफ है वीरानियां,
हर गली हर मोड़ पर हैं दुखों कि कहानियां,
अरे बढ़ा कर तो देखो कदम, उही कैसे मान रहे हार तुम।
पहला कदम रखा नहीं और मान गए क्यों हार तुम।

मुसीबतों से लड़ो सदा करो विरानियो को दूर तुम,
उठो बढ़ो चलो अभी करो उदसियो को दूर तुम,
वादा सदा ही साथ का देता है वो अपना खुदा,
बस साथ सोच कर उसे है चढ़ चलो पहाड़ तुम,
पहला कदम रखा नहीं और मान गए क्यों हार तुम।

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