पहचान
अपने से पहचान कर लो ।
अपने से पहचान कर लो
क्या किया जीवन में अब तक
दो गे धोखा खुद को कब तक
चल रही हैं सांसे जब तक
कुछ तो अच्छा काम कर लो
अपने से पहचान कर लो।
ढल गया सूरज तो अब तक
प्रारब्ध को रोओ गे कब तक
जाग उठो सोओ गे कब तक
आओ गगन के गान कर लो
अपने से पहचान कर लो
क्या हुआ जाना जो सब को
क्या हुआ जाना न रब को
जाना नहीं सांसों के ढब को
अब तो शर सन्धान कर लो
अपने से पहचान कर लो।