पहचान लघु कथा
पहचान
तीसरी बेटी के जन्म के बाद रंजीत के घर मे मानो मातम सा छा गया,
रंजीत की माँ ने आमरण अनशन शरू कर दिया ।
राधा को ना तो किसी ने खाने के लिए पूछा ना ही उसकी किसी ने खबर ली।
राधा की एम.बीए खत्म होते ही उसकी शादी रंजीत से कर दी गई। रंजीत अपने शहर मे ही सरकारी बैक मे बाबू है राधा और रंजीत दोनो खुश थे शादी के दो साल बाद राधा मातृत्व सुख प्राप्त हुआ उसने फूल सी कोमल बेटी को जन्म दिया,
उसका नामकरण तुलसी किया ; राधा माँ बनकर बहुत खुश थी रंजीत भी दुखी नही था फिर भी उसके मन मे बेटी की जगह बेटा की चाह थी, समय गुजरता गया, राधा ने अगले दो साल मे दो और बेटीयो को जन्म दिया ।
अब घर कमे वारिस न होने बात को ले कर रंजीत की माँ ने फरमान जारी कर दिया कि अगले अखतीज तक वह रंजीत की दुसरी शादी कर लेगी। अब राधा पर मुसीबतों के पहाड टुटने लगे परिवार को लेकर जितने सपने उसने शादी से पहले भीसजाये थे वे सब एक पल मे चकनाचूर हो गये थे, रंजीत ने भी शादी की बात पर माँ की हा मे हा मिलाकर राधा के विश्वास को ठेस पहुचायी, अखतीज पर रंजीत की दुसरी शादी कर दि गई. उच्च संस्कार व आदर्श की साक्षत मूर्ति राधा का जीवन अब तानो के सहारे चल रही थी,
उसकी तीनो बेटियां तुलसी, श्रद्धा, कुमकुम पढाई मे होशियार होने के साथ -साथ वे घरेलु कार्यों मे भी दक्ष हो गई ,उनके पिता रंजीत ने दुसरा विवाह करके अपना घर बसा लिया , रंजीत की दुसरी पत्नी से भी बेटी के दो संस्करण की प्राप्ति हुई,
वक्त गुजरता गया राधा की तीनों बेटियां उच्च शिक्षा प्राप्त कर शिक्षा विभाग मे अध्यापक बन गई .
रंजीत की दुसरी पत्नि की दोनो बेटियां भी शिक्षा प्राप्त कर सरकारी महकमे मे नौकरी लग गई।
रंजीत की पाचों बेटियां अपने नाम के साथ अपने पिता का नाम लगाती थी, रंजीत की सबसे बडी बेटी तुलसी ने विवाह न कर के अपने माता-पिता की सेवा करने का प्रण किया,
अब रंजीत पश्चाताप की आग मे जल कर बिलकुल बदल चुका था, उसके मन मे अब पुत्र पाने की लालसा नही रही, अब वह बडे गर्व से कहता ये पाचों बेटीया मेरी पहचान है। लेखक राहुल आरेज