पसन्द नहीं था खुदा को भी, यह रिश्ता तुम्हारा
पसन्द नहीं था खुदा को भी, यह रिश्ता तुम्हारा।
लिखा नहीं था नसीब में, उनसे मिलन तुम्हारा।।
मत हो निराश हे दिल तू , कोई बात नहीं, कोई बात नहीं।
पसन्द नहीं था खुदा को भी————————–।।
जो है नसीब में, वही तुमको मिलेगा।
किसी का कभी तो साथ, तुमको मिलेगा।।
बाकी है और भी, राहें चलने की।
मत रुक ऐसे तू , नहीं मंजिल को पाकर।।
पसन्द नहीं था खुदा को भी——————-।।
आँसू बहाने से, गम नहीं मिटेगा।
टूटेगी हिम्मत ही, जोश नहीं बढ़ेगा।।
फूलों को देखकर, तू भी मुस्करा।
मत तू बुझा दीपक, नहीं रोशनी को पाकर।।
पसन्द नहीं था खुदा को भी———————-।।
इंतजार तेरा भी, होगा किसी को।
तुमसे भी प्यार, होगा किसी को।।
समझना उसे ही तू , अपनी खुशी।
मत तू मिटा हस्ती, नहीं प्यार को पाकर।।
पसन्द नहीं था खुदा को भी———————-।।
शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)