पवनपुत्र, हे ! अंजनि नंदन ….
दिया सत्य का साथ सदा ही,किए बहुत उपकार ।
राम नाम के मनस – बिन्दु का विस्तारा संसार ।
विस्तारा संसार , बिन्दु के छींटे गली – गली में,
जनमानस का बाग हरा है,रस है कली – कली में ।
पवन-पुत्र, हे ! अंजनि नंदन, क्या उपकार किया,
कलयुग में भी राम नाम का रौशन किया ‘दिया’ ।
—— ईश्वर दयाल गोस्वामी ।
दिया यानि दीपक