पल वो अद्भुत खास होता…
…जब तुम मेरे पास होते….
जब तुम मेरे पास होते
पल वो अद्भुत खास होता
बँध नेह-बंधन में तुम्हारे
मुक्ति का आभास होता
चखके सब रस देखे जग के
स्वाद सभी का फीका लगता
याद तुम्हारी, बात तुम्हारी
साथ तुम्हारा नीका लगता
दूर से ही छवि देख तुम्हारी
मन-भीतर उल्लास होता
उदास कभी जो मैं हो जाती
प्यार से तुम मुझको समझाते
उबारते मुझको गम से मेरे
मीठी बतियों से मन बहलाते
नहीं अकेली मैं दुनिया में
मन में मेरे विश्वास होता
तुम चन्दा मैं रात साँवली
रम तुममें उजली हो जाती
मधु रसकण तुम ढुलकाते
ओढ़ चाँदनी मैं सो जाती
कल की कोई फिक्र न होती
मुख पर निर्मल हास होता
आया मौसम त्यौहारों का
पर मन में मेरे उमंग नहीं
लगते सारे नजारे धूमिल
लुभाता मुझे कोई रंग नहीं
होते गर तुम साथ मेरे
हर मौसम मधुमास होता
जब तुम मेरे पास होते
पल वो अद्भुत खास होता…
-डॉ.सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद
( “मृगतृषा” से )