पल – प्रतिपल जीवन में अज्ञात सा भय सताएगा ही,
पल – प्रतिपल जीवन में अज्ञात सा भय सताएगा ही,
तो क्या इंसान हॅंसी-खुशी सुकून का पल बिताएगा नहीं?
इरादों में अपने अटल अविचल जो कर्म-पथ पे है अग्रसर,
शिखर पे चढ़कर सुखमय जीवन सतत बिताएगा वही।
…. अजित कर्ण ✍️