पलकों पे सपने लिए, लाँघे जब दहलीज। पलकों पे सपने लिए, लाँघे जब दहलीज। बिटिया की माँ का हृदय, रहरह उठे पसीज।। © सीमा अग्रवाल मुरादाबाद