पर पंक्षी के पंख नोचता…:मुक्तक
जेठ मास में भीषण गर्मी लू घातक बीमारी है.
सूखे ताल-तलैया बोरिंग जलसंकट अब भारी है.
खाली खेत बाग़-वन गायब नदियाँ नाला बनीं हुई,
पर पंक्षी के पंख नोचता ए० सी० में अधिकारी है.
पल-पल तड़पें भूख-प्यास से जीव-जंतु जीते-मरते.
सर्प विषैले शेर भेड़िये अजगर राजनीति करते..
जंगल के क़ानून बनाकर कत्लगाह का पेट भरें,
सत्ताधारी ढोल पीटकर रामराज्य का दम भरते..
अन्न फूल-फल से हो पोषण सात्विक ही आहार करें.
उपजाती है प्रकृति सभी को हर प्राणी से प्यार करें.
नीलगाय नर, वंध्याकृत कर, ट्रैन्कुलाइजर दे पकड़ें,
संरक्षण हो वन मे उसका, कभी न अत्याचार करें..
–इंजी० अम्बरीष श्रीवास्तव ‘अम्बर’