पर्वतों से भी ऊॅ॑चा,बुलंद इरादा रखता हूॅ॑ मैं पर्वतों से भी ऊॅ॑चा,बुलंद इरादा रखता हूॅ॑ मैं शरद हवाऍ॑॑ भला क्या तोड़ेंगी हौसला मेरा