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5 Jun 2024 · 1 min read

पर्यावरण

पर्यावरण (स्वर्णमुखी छंद/सानेट )

पर्यावरण बचाना होगा।
यदि संरक्षण नहीं करोगे।
जीवन लीला खत्म करोगे।
स्वच्छ आवरण पाना होगा।

निर्मल नदियाँ नहीं रहीं अब।
जल विहीन अब धरती लगती।
वृक्ष हीनता बढ़ती दिखती।
पर्वत भी होते गायब अब।

प्रकृति संतुलन विगड़ गया है।
प्राणवायु घट रहा आज है।
वायु वृत्त नाराज आज है।
दूषित मानव अकड़ गया है।

मानव मूल्य बचाना होगा।
क्रमशः कदम बढ़ाना होगा।।

साहित्यकार डॉ0 रामबली मिश्र वाराणसी।

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