परिवार
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इक अभिन्न-सा अंग है, जीवन में परिवार।
प्रेम – स्नेह से सींच कर, स्वर्ग बने घर-द्वार।। १
फूलों की बगिया लगे, यह अपना परिवार।
हिल मिल सब रहते जहाँ, है आपस में प्यार।।२
सपनों से प्यारा लगे,मुझको मेरा परिवार।
लगे नहीं इसको नजर, विनती बारंबार।। ३
गृह लक्ष्मी बनकर रही, मिला पिया का प्यार।
सास-ससुर के स्नेह से, महक रहा परिवार।। ४
अपनेपन का ये चमन, खुशहाली का द्वार।
अहम् छोड़ कर झुक गयी, स्वर्ग बना परिवार।। ५
नाजुक रिश्तों की डोर है, माँगे थोड़ा प्यार।
जीवन भर का धन यही, एक सुखी परिवार।। ६
,नित्य जहाँ खुशियाँ बसे, हर दिन हो त्योहार।
करूँ सदा ये कामना, संग रहे परिवार।। ७
दादा-दादी साथ में, बच्चों का संसार।
मिला मुझे भगवान से, एक सुखद परिवार।। ८
मार्ग पूर्वजों के धरो, यह जीवन का सार।
इष्ट मित्र मिलते जहाँ, सुखी वही परिवार।। ९
????—लक्ष्मी सिंह ?☺