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28 Sep 2019 · 1 min read

“परिवार की धुरी” #100 शब्दों की कहानी#

हम शुरुआत से ही नौकरीपेशा, सास-ससुर संग रहने के साथ ही बड़े होने के नाते जिम्मेदारियों को बखूबी निभाते । पहले कभी बीमार हुए ही नहीं, मौसमी एलर्जी होती तो दवाई लेकर ऑफिस जाना ही पड़ता, फिर हम सोचते नौकरी में आराम कहां, पर अब लगता है, व्यस्त रहना ही स्वास्थ्य के लिए उत्तम है ।

जीवन में समय परिवर्तन के साथ बीमारियां बिन बुलाए मेहमान की तरह दस्तक देतीं, मैं शारीरिक परेशानी को बर्दाश्त करती हूं, पति कहते हैं मैं बीमार होने पर टोटल आराम करता हूं, वैसे ही तुम्हें भी जरूरी है, तुम परिवार की धुरी जो हो।

Language: Hindi
1 Like · 437 Views
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