*परिमल पंचपदी— नवीन विधा*
परिमल पंचपदी— नवीन विधा
12/08/2024
(1) — प्रथम, द्वितीय पद तथा तृतीय, पंचम पद पर समतुकांत।
तुलसी।
जाती है कुचली।।
कैक्टस उगाये जाते हैं।
मंदिरों पर आस्था की कमी दिखे,
मदिरालय बिना बुलाये चले आते हैं।।
(2)– द्वितीय, तृतीय पद तथा प्रथम, पंचम पद पर तुकांत।
हुलसी।
सत्य बोध दिया।
तुलसी ने पालन किया।।
जो हुलसी नहीं होती जीवन में,
रामायण होता न बनते दास तुलसी।।
(3)— प्रथम, तृतीय एवं पंचम पद पर समतुकांत।
उजली।
शुक्ल पक्ष छटा
चंदा से करती चुगली।
तेरी चाँदनी कहीं खो गई आज,
वो दिनो- दिन हो रही न जाने क्यों दुबली।
(4)—- संपूर्ण पंच पद अतुकांत।
कुंडली
साढे साते शनि
बैठा अनिष्ट कर रहा
जल्द निवारण के बारे में सोच
एक टेढ़ी नजर कर देती बरबाद ।
— डॉ रामनाथ साहू ‘ननकी’
छंदाचार्य, बिलासा छंद महालय