परम है प्यारी हिंदी
कुंडलियाँ– परम है प्यारी हिंदी
हिन्दी भाषा से मिला,
जग में है पहचान।
स्वर व्यंजन के मेल से ,
मिलता अनुप विधान।।
मिलता अनुप विधान,
सृजन को करता पावन।
भाव भरो जो सार,
लगेगा वह मनभावन।।
कह डिजेन्द्र करजोरि,
देश की है जो बिंदी।
जिस पर हमें गुमान,
परम है प्यारी हिंदी।।
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रचनाकार-डीजेन्द्र क़ुर्रे “कोहिनूर”
पीपरभवना,बलौदाबाजार (छ.ग.)
मो. 8120587822