परदेसी की याद में, प्रीति निहारे द्वार ।
परदेसी की याद में, प्रीति निहारे द्वार ।
हर पल बीते कल्प सा, हार गया शृंगार ।
हर करवट पर वेदना, देती तेरी याद –
निष्ठुर तेरी प्रीत में, तड़पे सब स्वीकार ।
सुशील सरना / 18-3-24
परदेसी की याद में, प्रीति निहारे द्वार ।
हर पल बीते कल्प सा, हार गया शृंगार ।
हर करवट पर वेदना, देती तेरी याद –
निष्ठुर तेरी प्रीत में, तड़पे सब स्वीकार ।
सुशील सरना / 18-3-24