परछाई
तुम दिल की धड़कन में,तुम ही श्वासों में,
तुम ही तुम हो मेरे दिन,और मेरी रातों में।
तुम ही मेरी अभिलाषा,तू जीने की आस,
परछाई बनकर सदा ,तुम रहना मेरे पास।
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रचना- मौलिक एवं स्वरचित
निकेश कुमार ठाकुर
गृह जिला- सुपौल (बिहार)
संप्रति- कटिहार (बिहार)
सं०- 9534148597