पम्मी को चाहिए मम्मी पापा का प्यार
पम्मी सुबह से ही रो रही थी, सीमा उसे चुप कराने के लिए सारे प्रयास कर रही थी । पम्मी को केवल मम्मी ही नहीं पापा भी चाहिए थे । राजेश और सीमा में काफी दिनों से अनबन ही चल रही थी, तो वे साथ में नहीं रह रहे थे । पम्मी बेचारी नासमझ, चार साल की तो थी, उसे क्या समझ में आने वाला था ।
सीमा और राजेश दोनों एक ही कंपनी में काम करते थे, मुंबई में । दोनों में ना जाने कब प्यार हो गया और बस दोनों के घरवालों की रजामंदी से और साथ ही पसंद से झट मग्नि पट ब्याह भी हो गया ।
कंपनी में दोनों को ही काम का बहुत तनाव रहता सो घर आने में देर हो जाती । फिर इसलिए राजेश की माताजी बड़े बेटे राकेश के पास ही रहती । कभी कभी आ जाया करती । सीमा अपने माता-पिता की इकलौती बेटी थी और माता-पिता एक हादसे में स्वर्ग सिधार चुके थे । दूर की चचेरी बहन थी सीमा की , ब्याह होने के बाद व्यस्त वो भी अपनी गृहस्थी में ।
कुछ दिन अच्छे से बीते, सीमा राजेश से बोल रही थी, कि वह अभी बच्चा नहीं चाहती, अपनी गृहस्थी व्यवस्थित हों जाने दो, फिर सोचेंगे बच्चे के बारे में । लेकिन राजेश ने नहीं सुनी, उसके मन में कुछ और योजना थी । राजेश कुछ सोच कर सीमा से बोला, अपनी आयु के अनुसार पहला बच्चा जितना जल्दी हो उतना ही पालन करना आसान होता है । बस सीमा राजी हो गई ।
सीमा ने जल्दी ही गुड़ न्यूज सुनाई । राजेश ने अपनी मां से कहा सीमा की डिलीवरी होने तक यहीं रहो । सीमा ने डॉक्टर की सलाह लेते हुए अपना ध्यान भी रख रही थी और ड्यूटी पर भी जा रही थी । आखिर वो दिन भी आ ही गया, सीमा ने फूल जैसी बेटी को जन्म दिया, राजेश के मन की मुराद पूरी हो गई । दोनों ने बेटी का नाम पम्मी रखा ।
धीरे – धीरे सभी कुछ सामान्य हो चला था कि राजेश की मां को इनके साथ रहना नहीं था सो उन्होंने अपनी तैयारी कर ली बड़े बेटे के साथ जाने की । जबकि राजेश ने मां को रोकने की कोशिश भी की और कहा कि सीमा अब ड्यूटी जाएगी मां और पम्मी की देखभाल आपकी देखरेख में आया करेगी और बाकी काम के लिए भी बाई लगा लेंगे । पर मां ने नहीं सुनी बोली मैं बंध कर नहीं रह सकती “तुम लोगों ने क्या मेरे से पूछ कर बच्चा पैदा किया था “। नौकरी अपने दम पर करते हो बच्चे भी खुद ही पालो । और बोली बहु को बोल नौकरी छोड़ दें, घर संभाल ।
इसी उधेड़बुन में राजेश ने कुछ भी विचार नहीं करते हुए सीमा को अपना फैसला सुना दिया कि पम्मी कुछ परवरिश के लिए वह नौकरी छोड़ दें । सीमा को भी गुस्सा आया और बोली राजेश मैं आपसे पहले ही कह रही थी बच्चे की अभी जल्दबाजी मत करो, पर आपने सुनी नहीं । आजकल की महंगाई में गुजारा कहां होता है, हमने मिलकर क्या क्या सपने देखे थे और दोनों की कुछ अनबन में बात तलाक तक जा पहुंचीं । अक्सर यही होता है इन सभी के बीच उस नन्ही सी पम्मी का क्या कसूर ???
सीमा और राजेश दोनों के ही द्वारा बिना सोचे समझे तलाक़ के लिए अर्जी दी जाती है । कोर्ट एक फरमान जारी करता है कि आप दोनों को 6 माह की अवधि दी जाती है, आप बच्चे के भविष्य को संवारने की दृष्टि से सोच लें, नहीं तो बाद में पछताना पड़ेगा ।
लेकिन इस अफरातफरी में ये क्या हो गया पम्मी को तेज बुखार आ गया । सीमा ने लाख कोशिश की उसे दवाई दे कर, कुछ खिलाकर सुलाने की “पर सब कोशिश बेकार ” । उस बेचारी नासमझ मासुम सी पम्मी को क्या पता उसके माता-पिता अलग-अलग रह रहे हैं । वो तो बेचारी पापा की रट लगा रही थी । फिर डॉक्टर की सलाह पर पम्मी को वह पापा के पास ले गई और पम्मी ने अपने माता-पिता के गले लगकर रोते हुए कहा आप लोग मत लड़ो न….. साथ में रहो न…. सीमा और राजेश एक दूसरे को निहार रहे थे और अपने प्यारे दिनो की याद में खो से गए और आखिरकार पम्मी की जीत हुई ।
अधिकतर परिवार में कुछ ऐसे ही होता है , हम अपने अहं में छोटे बच्चों की तरफ ध्यान ही नहीं देते हैं और फूल सा परिवार बिखर जाता है ।
समस्त सम्माननीय पाठकों से निवेदन है कि आप बताइएगा जरूर आपको यह कहानी कैसी लगी ।
धन्यवाद आपका। ।