पप्पू की बुद्धिमानी
” पपलू की बुद्धिमानी ”
(बाल कहानी)
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कई साल पहले ढ़ोसी गाँव में तीन चूहों के दल अपने -अपने सदस्यों के साथ निवास करते थे | जरबिल और झाऊ चूहों के दल गाँव के पास ही खेतों में रहते थे | जबकि तीसरा दल गाँव के भीतर घरों में निवास करता था | जरबिल चूहों के दल का नेता “पपलू” बहुत ही बुद्धिमान ,चतुर और समझदार चूहा था ,जबकि घरों में रहने वाले चूहों के दल का नेता “चपलू” आक्रामक, बदमाश और उग्र स्वभाव का था | तीनों दलों के चूहे रोज मस्ती करते और पेट भरकर भोजन करते थे | खेतों में रहने वाले चूहे खेत की फसल को और घरेलू चूहे घर की चीजें खाकर मौज में रहते | परन्तु कभी – कभी इंसानों के धक्के चढ़ जाते तो दो चार की मौत तो निश्चित थी | घर में चूहामार दवा और खेतों में कीटनाशक उनके लिए यमराज से कम नहीं थे , ऊपर से फसलें बोने और काटने के लिए चलाए गये ट्रैक्टर के पीछे लगे हल सदा जरबिल चूहों के घर को उजाड़ देते थे | ये सब देखकर तीनों दलों के नेताओं ने आकस्मिक बैठक बुलाई और समस्या से निबटने के उपाय सोचने लगे और अपने-अपने मत देने लगे | पपलू ने बैठक की अध्यक्षता करते हुए सभी चूहों की एकता पर आभार जताया और सबसे सदा एक रहने की बात कही | अपने उद्बोधन में सभी चूहों को एक साथ रहने की बात समझाते हुए कहा ……देखो भाईयो संगठन में ही शक्ति है ! जब तक हम संगठित रहेंगे हम किसी भी मुसीबत का सामना कर सकते हैं |
तभी ‘चपलू ‘ ने कहा – ये सब तो ठीक है भाई , लेकिन इंसानों से कैसे बचा जाए ? वो तो हाथ धोकर हमारे पीछे पड़े रहते हैं , कि कब हम दिखे और कब हमें मौत के घाट उतारें !!
तुम्हारी बात सही है ‘ चपलू ‘ ! परन्तु हम इंसानों को समझाऐं तो भी कैसे समझाऐं ? वो कभी कुछ सुनने को तैयार ही नहीं हैं | मुझे याद है पिछली दीपावली की सफाई के दौरान हमारे कितने भाईयों को मार डाला था बेरहमी से ….हमने कितनी विनती की थी | ‘पपलू ‘ ने चिंतित के स्वर में कहा |
लगता है अब हमें ये इलाका छोड़कर जाना होगा ! क्यों कि ऐसे हालात में हम करें भी तो क्या करें ? आखिर हैं तो चूहे ही ना…. ‘ननकू’ चूहे ने उदास स्वर में कहा |
तभी ओजस्वी और फुर्तीले स्वर में ‘चपलू ‘ चूहा बोला — चूहे हैं तो क्या हुआ ? हम भी इंसानों को धूल चटा सकते हैं | यदि वो हमारा ख्याल नहीं रख सकते तो भला हम क्यों रखें उनका ख्याल ?
‘चपलू ‘ जोश में होश नहीं खोना चाहिए , बल्कि अपनी बुद्धि का प्रयोग भी करना उचित रहता है | कहते हैं कि बुद्धिमान के लिए कोई भी काम असंभव नहीं है ! जिसके पास बुद्धि है ,बल भी उसी का दास है | इसलिए कहता हूँ कि हमें सूझ-बूझ से ही काम लेना होगा ,क्यों कि वास्तविक बल तो सूझ-बूझ में ही छुपा होता है ….. पपलू ने कहा |
‘चपलू ‘ बोला — कुछ भी हो ! इंसान को सबक तो सिखाना ही होगा और इसके लिए मेरे मस्तिष्क में एक योजना आई है |
कौनसी योजना ‘चपलू ‘ भाई ? हमें भी तो बतलाओ …… ‘धीरू’ चूहे ने तपाक से कहा |
‘चपलू ‘ बोला — देखो भाईयों अगर सभी की सहमति हो तो क्यों ना हम अपने ‘पिस्सू’ इंसानों के घर-घर में छोड़ दें ? ताकि ‘प्लेग’ फैले और इंसान का खात्मा !!!
हाँ-हाँ-हाँ…….. चपलू भाई ने अच्छी योजना बनाई है ! ना रहेगा बांस और न बजेगी बांसुरी | सभी ने एक स्वर में कहा |
पपलू बोला — भाईयों ! लेकिन ये कदम मानवता के खिलाफ होगा !
तो हम कौनसे मानव हैं ?
जब इंसान ही अपनी मानवता भूल रहा है तो हम क्यों उसके पल्लू से लिपटे रहें ……चपलू ने गुस्से से तमतमाते हुए कहा |
तुम क्या कह रहे हो ?
और ऐसा सोच भी कैसे सकते हो चपलू ?
‘पपलू ‘ ने शांत स्वर में समझाते हुए कहा |
नहीं-नहीं ….अब तो फैसला होकर ही रहेगा ! या तो हम ही रहेंगे इस गाँव में या ये इंसान ही ……… ‘प्लेग’ तो फैलाना ही होगा |
चलो भाईयों आज का अंतिम निर्णय यही है कि हमारे ‘पिस्सूओं’ को इंसानों के घरों में छोड़ा जाए …….सभी ने एक स्वर में निर्णय सुनाते हुए कहा |
फिर क्या था ?
सभी चूहों ने मिलकर अपने-अपने ‘पिस्सू’ इंसानों के घरों मे छोड़ दिये |
कुछ ही दिनों में पूरे गाँव में ‘प्लेग’ महामारी के रूप फैल गया |
लोग मरने लगे !
पूरे गाँव में दहशत फैल गई !
हड़कम्प मच गया !
उधर चूहों में खुशी की लहर दौड़ रही थी ! सब के सब उछल-कूद करते हुए जश्न मना रहे थे |
‘प्लेग’ की खबर बहुत जल्दी न्यूज चैनलों और अखबारों में छा गई और देखते ही देखते पूरे देश में आग की तरह फैल गई | सरकार चिंतित हुई और प्लेग पर काबू करने के लिए चूहों को मारने के लिए विशेष दलों का गठन किया |
यह खबर सुनते ही ‘रंगीला’ चूहा दौड़ता-हाँफता ‘ पपलू और चपलू ‘ के पास आया और बोला — पपलू भाई ,चपलू भाई …..अब नहीं बचेंगे हम ! हमारी शामत आ गई है ! अब तो भगवान भी नहीं बचा सकता हमें ……पूरे देश के न्यूज चैनलों ने चुगली खा ली है कि ये सब हमारा किया हुआ है और हमारा सर्वनाश करने के लिए दिल्ली से एक दल कल सुबह ही यहाँ पहुँच रहा है !!
इतना सुनते ही सभी चूहे दौड़कर एक जगह एकत्रित हो गये और ‘चपलू ‘ को कोसने लगे कि चपलू की वजह आज हमें यह मुसीबत झेलनी पड़ रही है |
तभी ‘पपलू ‘ ने अपनी बुद्धिमता दिखाई और कहा — भाईयो डरने की कोई बात नहीं है , भगवान सबका भला करेंगे |
अरे ! अब भगवान क्या भला करेंगे ? अब तो पानी सर से ऊपर जा चुका है ! ‘ चस्कू ‘ चूहे ने तपाक से कहा |
‘पपलू ‘ बोला — भाईयो अब हमें भगवान ही बचाऐंगे और इंसान हमें कुछ भी नहीं कर पाएगे , क्यों कि मैं इनकी रग-रग से वाकिफ हूँ |
वो कैसे ‘पपलू ‘ भाई ? मंगतू चूहे ने आश्चर्य से पूछा !
‘पपलू ‘ बोला — भाईयो दल तो कल सुबह तक आएगा और हम सब उसके आने से पहले ही रात को गाँव छोड़कर जा चुके होंगे !
ये कैसी बात कर रहे हो ‘ पपलू ‘ भाई ? हम गाँव नहीं छोडेंगे ! ‘ चपलू ‘ ने जोर देकर कहा |
‘पपलू ‘ बोला — देख ‘चपलू ‘ !
इंसान की कमजोरी है आस्था !
और हम उसी आस्था को अपना हथियार बनाऐंगे और इंसान चाहते हुए भी हमारा अहित नहीं कर पाएगा , उल्टा हमें अच्छा-अच्छा भोजन भी खाने को देगा |
वो कैसे भाई ? चपलू ने कहा |
पपलू ने पूरी बात समझाते हुए कहा — देखो भाईयो पश्चिम दिशा की और थार मरूस्थल में करणीमाता का एक बड़ा ही शानदार मंदिर है ,जहाँ हमारी खूब आवभगत की जाती है , हम वहाँ रातों-रात पहुँच सकते हैं |
लेकिन वो तो बहुत दूर है ‘ पपलू ‘ भाई !
हमें पूरी रात चलना होगा ! ‘धीरू’ चूहे ने चिंतित होकर कहा |
‘ पपलू ‘ ने कहा — देखो ‘धीरू’ ! चलना तो पड़ेगा हमें ! क्यों कि बिना प्रयास किए कुछ भी हासिल नहीं होता ? हम हाथ पर हाथ धरे नहीं बैठ सकते ! हमें चलना ही होगा | फिर ये तो हमारी जिंदगी और मौत का सवाल है !
मरता क्या न करता ?
सभी चूहे सहमत हो गये और गोधूलि वेला होते ही प्रस्थान करने का निर्णय हुआ |
जैसे ही गोधूलि का समय हुआ ,सभी चूहे चल पड़े अपनी मंजिल को !!
पूरी रात निरन्तर चलने के पश्चात भोर होने से पहले ही सब के सब मंदिर में पहुँच चुके थे और पहुँचते ही शुरू हो गई थी उनकी आवभगत !
कोई दूध पीने लगा !
कोई खीर खाने लगा !
कोई मोतीचूर के लड्डू खा रहा था !
तो कोई प्रसाद !!
सब के सब मस्त होकर खाते-पीते और मौज-मस्ती में व्यस्त रहने लगे | अब न तो मौत का डर था , ना ही खाने-पीने की चिंता ! इंसान भी इन्हें बड़े प्यार से गोद में उठाकर स्नेह भरा हाथ फिराते हैं |
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शिक्षा : सतत् मेहनत और बुद्धिमानी से हर हार , जीत में बदल सकती है ।
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-डॉ० प्रदीप कुमार “दीप”