Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
12 Nov 2018 · 1 min read

पन्नों पर भी पहरे हैं

पन्नों पर भी पहरे हैं
✒️
बैठ चुका हूँ लिखने को कुछ, शब्द दूर ही ठहरे हैं,
ज़हन पड़ा है सूना-सूना, पन्नों पर भी पहरे हैं।

प्रेम किया वर्णों से
भावों कलम डुबोया
सींची संस्कृति अपनी
पूरा परिचय बोया,
झंकृत अब मानस है
चमक रही है स्याही
पद्य सृजन में ठहरा
भटका सा एक राही;

उभरें नहीं विचार पृष्ठ पर, सोये वे भी गहरे हैं,
ज़हन पड़ा है सूना-सूना, पन्नों पर भी पहरे हैं।

लेखन नियम न समझा
संधानित नरकट ने
बदल दिया जज़्बाती
पारस को करकट में,
रच-रच उलाहनायें
सृजनें हैं अब देतीं
भस्म हुई ख़्वाबों की
सरसब्ज़ पड़ी खेती;

सूखीं असु चितवन की सारी, बड़ी-बड़ी अब नहरें हैं,
ज़हन पड़ा है सूना-सूना, पन्नों पर भी पहरे हैं।

उकताहटवश होकर
कर से कलम निचोड़ी
चित्त नीड़ में पैठी
खोली अहं तिजोरी,
आँखों में अंजन भर
झाँक हृदय में पाया
कुटिल कुटिलताओं में
जन्म-जन्म विसराया;

अंतर्मन में बहुत प्रफुल्लित, अंधकार की लहरें हैं,
ज़हन पड़ा है सूना-सूना, पन्नों पर भी पहरे हैं।

मसि महिमा ना जानूँ
लफ़्ज बोलकर जैसे
कीर्तन गा हर्फ़ों के
पार पड़ूँ अब कैसे?
देतीं हिय को देवी
ज्ञान शारदे माता
मुझ बेचारे से क्यों
रूठा हुआ विधाता?

पुस्तक के वरकों में शायद, रूखी सी अब बहरें हैं,
ज़हन पड़ा है सूना-सूना, पन्नों पर भी पहरे हैं।
…“निश्छल”

Language: Hindi
Tag: गीत
4 Likes · 2 Comments · 569 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
प्रतीकात्मक संदेश
प्रतीकात्मक संदेश
Shyam Sundar Subramanian
*चाँदी को मत मानिए, कभी स्वर्ण से हीन ( कुंडलिया )*
*चाँदी को मत मानिए, कभी स्वर्ण से हीन ( कुंडलिया )*
Ravi Prakash
‘प्रकृति से सीख’
‘प्रकृति से सीख’
Vivek Mishra
आँशुओ ने कहा अब इस तरह बहा जाय
आँशुओ ने कहा अब इस तरह बहा जाय
Rituraj shivem verma
खोकर अपनों को यह जाना।
खोकर अपनों को यह जाना।
लक्ष्मी सिंह
🙅तय करे सरकार🙅
🙅तय करे सरकार🙅
*प्रणय*
जी आजाद इस लोकतंत्र में
जी आजाद इस लोकतंत्र में
gurudeenverma198
बीजः एक असीम संभावना...
बीजः एक असीम संभावना...
डॉ.सीमा अग्रवाल
*आओ हम वृक्ष लगाए*
*आओ हम वृक्ष लगाए*
Shashi kala vyas
शेर
शेर
पाण्डेय नवीन 'शर्मा'
दूरी और प्रेम
दूरी और प्रेम
शालिनी राय 'डिम्पल'✍️
मुझे जब भी तुम प्यार से देखती हो
मुझे जब भी तुम प्यार से देखती हो
Johnny Ahmed 'क़ैस'
चमकत चेहरा लजाई
चमकत चेहरा लजाई
राधेश्याम "रागी"
फ़ुरसत से निकालों वक्त, या अपना वक्त अपने पास रखो;
फ़ुरसत से निकालों वक्त, या अपना वक्त अपने पास रखो;
ओसमणी साहू 'ओश'
समय
समय
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
तुम अगर स्वच्छ रह जाओ...
तुम अगर स्वच्छ रह जाओ...
Ajit Kumar "Karn"
एक गरीब की इज्जत अमीर की शोहरत से कई गुना अधिक बढ़ के होती ह
एक गरीब की इज्जत अमीर की शोहरत से कई गुना अधिक बढ़ के होती ह
Rj Anand Prajapati
जितना रोज ऊपर वाले भगवान को मनाते हो ना उतना नीचे वाले इंसान
जितना रोज ऊपर वाले भगवान को मनाते हो ना उतना नीचे वाले इंसान
Ranjeet kumar patre
आखिर कब तक ऐसा होगा???
आखिर कब तक ऐसा होगा???
Anamika Tiwari 'annpurna '
ग़ज़ल _ अँधेरों रूबरू मिलना, तुम्हें किस्सा सुनाना है ।
ग़ज़ल _ अँधेरों रूबरू मिलना, तुम्हें किस्सा सुनाना है ।
Neelofar Khan
हिन्दू -हिन्दू सब कहें,
हिन्दू -हिन्दू सब कहें,
शेखर सिंह
चलते हुए मैंने जाना डगर में,
चलते हुए मैंने जाना डगर में,
हरीश पटेल ' हर'
आना भी तय होता है,जाना भी तय होता है
आना भी तय होता है,जाना भी तय होता है
Shweta Soni
ब्रह्म मुहूर्त में बिस्तर त्याग सब सुख समृद्धि का आधार
ब्रह्म मुहूर्त में बिस्तर त्याग सब सुख समृद्धि का आधार
पूर्वार्थ
!! मेरी विवशता !!
!! मेरी विवशता !!
Akash Yadav
वक्त के  आगे जीव की,
वक्त के आगे जीव की,
sushil sarna
5000.*पूर्णिका*
5000.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
" तरक्की के वास्ते "
Dr. Kishan tandon kranti
अहंकार
अहंकार
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
डॉ अरूण कुमार शास्त्री
डॉ अरूण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
Loading...