पनघट सूने हो गये
देखें एक कुंडलियां छंद के माध्यम से हास्य-व्यंग्य?❤️?
पनघट सूने हो गये, है वीरानी आज।
सूख गये कूएं सभी, सूनेपन का राज।
सूनेपन का राज, नहीं दिखती पनिहारी।
मजनूं हुए विरान, गयी है किस्मत मारी।
रहा फेसबुक छाय,ढूंढते हैं अब लंपट।
कहै अटल कविराय,हुए हैं वीरां पनघट।