पधारो मेरे प्रदेश तुम, मेरे राजस्थान में
(शेर)- बारां का डोल मेला, दशहरा कोटा का दिखाऊँ मैं।
बूंदी की तीज, गणगौर जयपुर की तुमको बताऊँ मैं।।
अलगोजा , कालबेलिया नृत्य, देखो तुम राजस्थान में।
प्रसिद्ध तलवार सिरोही की, सम्मान में भेंट कराऊँ मैं।।
——————————————————————-
पधारो मेरे प्रदेश तुम, मेरे राजस्थान में।
उत्सुक हैं मेरा प्रदेश,तुम्हारे स्वागत सम्मान में।।
पधारो मेरे प्रदेश तुम ————————।।
गढ़ गढ़ तो चितौड़गढ़, अभेद्य गढ़ कुंभलगढ़ है।
बीकानेर का जूनागढ़ और, प्रसिद्ध नाहरगढ़ है।।
जैसलमेर का स्वर्णदुर्ग, प्रसिद्ध हिन्दुस्तान में।
पधारो मेरे प्रदेश तुम ————————-।।
राणा प्रताप, पद्मिनी की, यह जन्मभूमि है।
राणा सांगा, दुर्गादास की,यह कर्मभूमि है।।
मीरा,पन्नाधाय की गाथा, गूंजे आसमान में।
पधारो मेरे प्रदेश तुम ————————-।।
केर सागरी, दाल बाटी, पहचान राजस्थान की।
घूमर नृत्य और पगड़ी, शान है राजस्थान की।।
सैर कराये बनकर जहाज, ऊंट रेगिस्तान में।
पधारो मेरे प्रदेश तुम ————————-।।
शिक्षक एवं साहित्यकार-
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)