Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
7 Dec 2023 · 2 min read

पद्मावती छंद

पद्मावती मात्रिक छंद)
[१०,८,१४ यति, प्रथम दो यतियों में तुकांत ( पदानुप्रास )
अंत–गा गा ( किसी अन्य तरह का चौकल अमान्य )
चार चरण , दो दो या चारों चरण सम तुकांत
************************************

नैनों का काजल ,जैसे बादल , घोर घटाएँ हो जैसे |
ऊपर से चितवन , हरती है मन , हाल बताएँ अब कैसे ||
भाव हृदय पागल,खोज रहे हल, मिलता नहीं इशारा |
बेवश रहता मन , गोरी है धन , मैं कैसे करूँ किनारा ||

जीवन में जब गम , आते हरदम , तब लगता है कुछ हारा |
मधु गीतों को सुन , पहचाने धुन , तब लगता कुछ न्यारा ||
पद चिन्हों पर चल, आगे का कल, बनता है जहाँ सितारा |
बनती अच्छी मति, जाने हम गति, बहती तब‌ निर्मल धारा ||

पथिक देखता मग , कैसा है जग , सदा जोड़ता वह नाता |
रखता अपनापन , निर्मल है मन , सबको समझे वह भ्राता ||
अंजाना है पथ , खाली है रथ , फिर भी कहलाता दाता |
रखना है साहस , आएगा रस , जग को वह है बतलाता ||

यात्रा अंतिम जब , राह मिले तब , मुक्ति धाम की है ज्वाला |
छोड़ चला यह मन , अपना निज तन ,जिसको था उसने पाला ||
नहीं आयगा कल , अंतिम है पल , चढ़े पुष्प बनकर माला |
लोग कहेगें बच , राम नाम सच , जीवन मकड़ी है जाला ||

लोग कहेगें चल , नष्ट हुए पल , अंतिम यात्रा तैयारी |
शाम हुई. अब, छोड़‌ गया सब , समय‌ बड़ा ‌है यह भारी ||
इतना था जीवन ,भोग गया तन , अब आगे है लाचारी |
करनी का श्री फल , आएगा ढल , नई मिलेगी अब पारी ||

सुभाष सिंघई
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~

पद्मावती मात्रिक छंद)
[१०,८,१४ यति, प्रथम दो यतियों में तुकांत ( पदानुप्रास )
अंत–गा गा ( किसी अन्य तरह का चौकल नहीं )
चार चरण , दो दो या चारों चरण सम तुकांत
************************************
मुक्तक

भरे हलाहल नर, दिखता तत्पर , दंश मारता है जाता |
कहता है अमरत , जिसमें फितरत, भरकर सम्मुख ही लाता |
अपनी ले हसरत , करता कसरत , दुनिया का लेता ठेका –
जब दिखता मरघट , करता खटपट, हाय- हाय को है पाता |

यह तन भी जानो , मेरी‌ मानो, फूटा कलशा कहलाता |
ईश्वर का वंदन , होता चंदन , नहीं समझ में कुछ आता |
मिलता कर्मो से , यह धर्मो से , सार निकलते है देखा –
अब कोई माने , या मत माने , किया हुआ ही नर पाता |

प्रभु की है लीला , सूखा गीला , सब उसको ही स्वीकारो |
लाल हरा नीला , या हो पीला , दुख सुख जैसा सदा निहारो |
मत करना लालच , दुनिया में नच, मत मंशा को दिखलाना –
प्रभु सभी करेगें , कष्ट हरेगें , जो देगें वह सिर धारो |

सुभाष सिंघई
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~

Language: Hindi
296 Views

You may also like these posts

चांद को तो गुरूर होगा ही
चांद को तो गुरूर होगा ही
Manoj Mahato
A Girl Child
A Girl Child
Deep Shikha
आज फिर
आज फिर
Chitra Bisht
टूट जाता कमजोर, लड़ता है हिम्मतवाला
टूट जाता कमजोर, लड़ता है हिम्मतवाला
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
ज़िन्दगी गुज़रने लगी है अब तो किश्तों पर साहब,
ज़िन्दगी गुज़रने लगी है अब तो किश्तों पर साहब,
Ranjeet kumar patre
दीदार
दीदार
इंजी. संजय श्रीवास्तव
कलयुग और रावण
कलयुग और रावण
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
कैसे- कैसे नींद में,
कैसे- कैसे नींद में,
sushil sarna
मेरा ब्लॉग अपडेट दिनांक 2 अक्टूबर 2023
मेरा ब्लॉग अपडेट दिनांक 2 अक्टूबर 2023
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
मैं हारा हूं बस एक परीक्षा में
मैं हारा हूं बस एक परीक्षा में
Ankita Patel
आज़ादी के दीवाने
आज़ादी के दीवाने
करन ''केसरा''
"वक्त" भी बड़े ही कमाल
नेताम आर सी
रामचंद्र झल्ला
रामचंद्र झल्ला
Shashi Mahajan
क्या तुम्हें लगता है कि
क्या तुम्हें लगता है कि
gurudeenverma198
कहो जय भीम
कहो जय भीम
Jayvind Singh Ngariya Ji Datia MP 475661
मूर्खों दुष्टों और दुश्मनों को तवज्जो देंगे तो अपना आत्मसम्म
मूर्खों दुष्टों और दुश्मनों को तवज्जो देंगे तो अपना आत्मसम्म
गौ नंदिनी डॉ विमला महरिया मौज
मोहब्बत से कह कर तो देखो
मोहब्बत से कह कर तो देखो
Surinder blackpen
वही नज़र आएं देखे कोई किसी भी तरह से
वही नज़र आएं देखे कोई किसी भी तरह से
Nitin Kulkarni
#सियमात लौटाओ तो कभी
#सियमात लौटाओ तो कभी
वेदप्रकाश लाम्बा लाम्बा जी
Don't leave anything for later.
Don't leave anything for later.
पूर्वार्थ
आत्मसम्मान
आत्मसम्मान
Sudhir srivastava
बिना पढ़े ही वाह लिख, होते हैं कुछ शाद
बिना पढ़े ही वाह लिख, होते हैं कुछ शाद
RAMESH SHARMA
ज़िंदगी क्या है क्या नहीं पता क्या
ज़िंदगी क्या है क्या नहीं पता क्या
Kanchan Gupta
3762.💐 *पूर्णिका* 💐
3762.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
✍🏻 #ढीठ_की_शपथ
✍🏻 #ढीठ_की_शपथ
*प्रणय*
दुर्योधन की पीड़ा
दुर्योधन की पीड़ा
Paras Nath Jha
Rakesh Yadav - Desert Fellow - निर्माण करना होगा
Rakesh Yadav - Desert Fellow - निर्माण करना होगा
Desert fellow Rakesh
मैं मजदूर हूँ
मैं मजदूर हूँ
Arun Prasad
तो कुछ और बात होती
तो कुछ और बात होती
Jyoti Roshni
कवि और केंकड़ा ( ‌‌घनाक्षरी छंद)
कवि और केंकड़ा ( ‌‌घनाक्षरी छंद)
guru saxena
Loading...