पदावली
भाव पदावली
सृजन पंक्ति- नाम लिखी कोरे कागज के पन्ने पर
नाम लिखी कोरे कागज के पन्ने पर।
सजनी ने पाती अपने प्रिय साजन को,
आँसू नयनों में पत्थर रख छाती पर।।
चिट्ठी लिखती सजना कब घर आओगे,
वादा करके मुझ से बैठे सीमा पर।
मुरझाए है मन हरदम रहता बेकल,
राहें देखूं तेरी नयन लगे द्वारे पर ।।
बिरहन सा जीवन कैसे बीते रजनी,
तनमन भी तरसा सावन की आवन पर।
नैना बरसें निशदिन ज्यूँ बरखा बरसे,
मेहंदी भी ना भाती अब हाथों पर।
सीमा शर्मा ‘अंशु’