Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
17 Nov 2024 · 1 min read

पदावली

पदावली
स्यामल बादल गर्जन करते

स्यामल बादल गर्जन करते।
रिमझिम रिमझिम बरखा लाये,
हृदय धरा के ठंडक भरते।।

कब परदेसी साजन आएं,
नैना निशिदिन राहें तकते।
आस जगाते काले बादल,
पीड़ा सबके मन की हरते।।

फूलों से हैं धरा सजाते ,
हरे भरे सब पल्लव रहते।
मदमाता अब सावन आया,
मेघों से नित झरने बहते ।।

पेड़ो पर हैं बंधे झूले,
इंद्रधनुष हैं अंबर सजते।
बागों मीठी कोयल बोले,
मधुर संगीत हरपल बजते ।।

सीमा शर्मा ‘अंशु’

27 Views

You may also like these posts

बेजुबान और कसाई
बेजुबान और कसाई
मनोज कर्ण
3369⚘ *पूर्णिका* ⚘
3369⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
*आया पूरब से अरुण ,पिघला जैसे स्वर्ण (कुंडलिया)*
*आया पूरब से अरुण ,पिघला जैसे स्वर्ण (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
राहों में
राहों में
हिमांशु Kulshrestha
मां शारदा की वंदना
मां शारदा की वंदना
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
क्या सितारों को तका है - ग़ज़ल - संदीप ठाकुर
क्या सितारों को तका है - ग़ज़ल - संदीप ठाकुर
Sandeep Thakur
मुझको ज्ञान नहीं कविता का
मुझको ज्ञान नहीं कविता का
Manoj Shrivastava
बहुत कुछ बोल सकता हु,
बहुत कुछ बोल सकता हु,
Awneesh kumar
आना भी तय होता है,जाना भी तय होता है
आना भी तय होता है,जाना भी तय होता है
Shweta Soni
"अहसास के पन्नों पर"
Dr. Kishan tandon kranti
समय देकर तो देखो
समय देकर तो देखो
Shriyansh Gupta
माँ शारदे
माँ शारदे
Sudhir srivastava
भाव हमारे निर्मल कर दो
भाव हमारे निर्मल कर दो
Rajesh Kumar Kaurav
जाने क्यों तुमसे मिलकर भी
जाने क्यों तुमसे मिलकर भी
Sunil Suman
*
*"सिद्धिदात्री माँ"*
Shashi kala vyas
अपने मन की बात
अपने मन की बात
RAMESH SHARMA
If We Are Out Of Any Connecting Language.
If We Are Out Of Any Connecting Language.
Manisha Manjari
गुमनाम दिल
गुमनाम दिल
Harsh Malviya
25- 🌸-तलाश 🌸
25- 🌸-तलाश 🌸
Mahima shukla
सर्दी में जलती हुई आग लगती हो
सर्दी में जलती हुई आग लगती हो
Jitendra Chhonkar
**प्याला जहर का हमें पीना नहीं**
**प्याला जहर का हमें पीना नहीं**
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
आफ़ताब
आफ़ताब
Atul "Krishn"
मोहन का परिवार
मोहन का परिवार
जय लगन कुमार हैप्पी
कुंडलिया
कुंडलिया
Sarla Sarla Singh "Snigdha "
तेवरी किसी नाकाम आशिक की आह नहीं +ज्ञानेन्द्र साज
तेवरी किसी नाकाम आशिक की आह नहीं +ज्ञानेन्द्र साज
कवि रमेशराज
हाइकु - डी के निवातिया
हाइकु - डी के निवातिया
डी. के. निवातिया
■ रोने से क्या होने वाला...?
■ रोने से क्या होने वाला...?
*प्रणय*
खामोशी मेरी मैं गुन,गुनाना चाहता हूं
खामोशी मेरी मैं गुन,गुनाना चाहता हूं
पूर्वार्थ
परिवेश
परिवेश
Sanjay ' शून्य'
रंजीत कुमार शुक्ला
रंजीत कुमार शुक्ला
हाजीपुर
Loading...