*”पदचाप”*
? पदचाप?
विजय की पढ़ाई पूरी होने के बाद ही गुजरात मे प्रायवेट कंपनी में जॉब इंटरव्यू आया और वही सर्विस करते हुए एक कमरे का मकान किराये पर लेकर रहने लगा था।
अभी कुछ ही महीने पहले ही जॉब लगी थी अभी अपने आपको ठीक से सम्हाल भी नही पाया था कि अचानक से पूरे विश्व में लॉक डाउन हो गया ,प्रायवेट कंपनी वालों ने ड्यूटी से निकाल दिया कहने लगे अब ज्यादा कर्मचारियों की जरूरत नहीं है।जितने दिन काम किया उसके पैसे देकर आने के लिए मना कर दिया था।
अब इधर घर आने पर मकान मालिक ने भी घर से बाहर निकाल दिया था घर से बेघर हो जब सड़क किनारे आया तो देखा वहां पर भी कोई आवागमन के साधन उपलब्ध नहीं है अब कुछ समझ में भी नही आ रहा था।सड़क मार्ग पर ही खड़े होकर गाड़ियों के आने का इंतजार कर रहा था और तभी एक दूध का टैंकर वाला गुजरा उस गाड़ी वाले को हाथ हिलाकर रोका और उससे गुजारिश की कुछ दूरी तक उसे सुरक्षित स्थान पर छोड़ दे ….
किस्मत से वह दूध टैंकर की गाड़ी भोपाल जा रही थी और वह इंदौर के पास देवास का रहने वाला था।
आखिरकार इंदौर तक विजय पहुँच गया था।जैसे ही वह गाड़ी से उतरकर कुछ दूर चलने लगा पुलिसकर्मियों ने उसे पकड़कर पूछताछ शुरू कर दिया वो एकदम सकपका गया घबराहट में समझ नही आ रहा था कि ये सब क्या हो रहा है 2 दिनों तक भूखे प्यासे गुजरात से निकला था।
पुलिसकर्मियों को सारी बातें बतलाने के बाद उन्होंने कहा कि पहले तुम्हारा परीक्षण होगा फिर घर जाने को मिलेगा….? ?
उसने बोला एक गिलास पानी मिल सकता है बहुत जोरों से प्यास लगी है।
पुलिसकर्मियों ने विजय को कुछ खाने को दिया पानी पिलाया फिर उसका टेस्ट परीक्षण हुआ ।
पहले तो टेस्ट कराने से मना कर दिया मुझे कुछ नही हुआ है बस वहाँ से यहां तक आने से मेरी ऐसी हालत खराब हो गई है उन्होंने कहा ठीक है लेकिन जरा सा परीक्षण करने से यह मालूम हो जायेगा और यह हमारी डयूटी है बाहर से आने वाले का पहले टेस्ट परीक्षण लिया जाये ….
विजय आखिर मान लिया और परीक्षण होने के बाद में रिपोर्ट निगेटिव निकला फिर उसे अपने गांव घर जाने की इजाजत दी गई
अब यहाँ भी साधन उपलब्ध न होने के कारण पैदल चलकर ही अपने गांव की ओर चल पड़ा।
वहां गांव में माता पिता भाई बहन पूरा परिवार चिंता में डूबा हुआ था आंखे बेटे की राह निहार रही थी तभी दूर से पगडंडियों में आते हुए उसके पदचाप की पहचान से माँ ने दूर से पहचान लिया माँ को अपने बेटे के आने का एहसास हो गया था और सचमुच में ही विजय ही घर की ओर चला आ रहा था माँ उसके पदचाप को सुनकर उसकी ओर तेजी से दौड़ पड़ी आंखों में अश्रू धार बहाते हुए अपने बेटे विजय को गले से लगा लिया और रो पड़ी ……! ! !
विजय ने घर आकर राहत की सांस ली सारी बातें बतलाई और सारी घटनाओं से अवगत कराया घर से निकले हुए एक पदचाप ने न जानें कितने कष्ट उठाने को मजबूर हो गया था और कैसे कैसे पदचिन्हों से गुजरता हुआ आज सकुशल अपने घर लौट आया था
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शशिकला व्यास✍️