*पत्रिका समीक्षा*
पत्रिका समीक्षा
पत्रिका का नाम : इंडियन थियोसॉफिस्ट
अंक :मई 2023
संपादक : प्रदीप एच गोहिल
अनुवादक : श्याम सिंह गौतम
प्रकाशक: थिओसोफिकल सोसाइटी, कमच्छा, वाराणसी 221010 उत्तर प्रदेश
समीक्षक : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451
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इंडियन थियोसॉफिस्ट वास्तव में थियोसोफिकल सोसायटी की अंतरराष्ट्रीय पत्रिका है, जो हिंदी में श्याम सिंह गौतम के अनुवाद के साथ प्रकाशित होती है। संपादकीय लेख एक पग आगे शीर्षक से प्रदीप एच गोहिल का प्रत्येक अंक में प्रकाशित होता है। इस अंक में भी उन्होंने आत्मज्ञान पर प्रकाश डाला है। आत्मज्ञान का सीधा-साधा अर्थ अपने आप को जानना है। लेखक ने अपने को जानने के विविध पक्षों की ओर पाठकों का ध्यान आकृष्ट किया है। लेखक का कहना है कि दूसरों से सीखना मानव जीवन की प्रारंभिक स्थितियों में महत्वपूर्ण है, लेकिन जैसे-जैसे लोग विकसित होते हैं उन्हें खुद के अनुभव से ज्ञान प्राप्त करना चाहिए। जे. कृष्णमूर्ति को उद्धृत करते हुए लेखक ने कहा है कि बिना आत्मज्ञान में गहराई से स्थापित हुए जो भी गुण आता है उसका कोई अर्थ नहीं होता है।
आत्मज्ञान के संबंध में एन. श्रीराम (पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष) का यह मत बिल्कुल सही उद्धृत किया गया है कि प्रत्येक को अपनी अलग विधि से और स्वयं से मार्ग पर चलना होगा।
सीक्रेट डॉक्टरीन के अध्ययन पर जोर देते हुए विंसेंट हाओ चिन जुन का एक लेख है। यह द थिओसोफिस्ट मई 1991 में प्रकाशित हो चुका है। सीक्रेट डॉक्टरीन मैडम ब्लेवेट्स्की का एक कठिन कार्य माना जाता है । लेकिन लेखक का कहना है कि यह जन सामान्य के लिए लिखी गई पुस्तक है। जनसामान्य तक सीक्रेट डॉक्टरीन को पहुंचाने की दिशा में लेखक ने कई उपाय सुझाए हैं। जिनमें एक यह भी है कि समूह बनाकर कुछ लोग सीक्रेट डॉक्टरीन का अध्ययन करें।
शिखर अग्निहोत्री थियोसॉफिकल सोसायटी के अंतरराष्ट्रीय तथा राष्ट्रीय वक्ता हैं। 1 जनवरी 2023 को अड्यार, चेन्नई में सोसाइटी के अंतरराष्ट्रीय अधिवेशन में उन्होंने “आपस में उलझे हुए संसार में हमारा दायित्व” विषय पर जो विचार व्यक्त किए थे, वह लेख में प्रकाशित किए गए हैं।लेखक ने इसे संबंधों का प्रत्यक्षीकरण शीर्षक दिया है और कहा है कि प्रत्येक व्यक्ति और वस्तु में ईश्वर की पहचान करना सीखो। लेखक का मत है कि एक दिव्य जीवन है, जो हम सबको आपस में बांधता है। प्रेम की एक स्थिति होती है जिसमें न कोई “मैं” है और न ‘तुम’ है । केवल प्रेम है । मौलिक विचार व्यक्त करते हुए लेखक ने कहा है कि ‘स्टॉप’ अर्थात रुक जाओ -यह अपने आप से कहना जागरूकता की पहली सीढ़ी है, क्योंकि जिस क्षण हम पूरी तरह रुक जाते हैं; हम परिधि से केंद्र को या भीड़ के शोर से हृदय के गर्भगृह में चले जाते हैं। लेख व्यक्ति को भीतर से जागरूक करते हुए उसे परस्पर अटूट संबंधों से जोड़ने की दृष्टि से अत्यंत उपयोगी है।
“समाचार और टिप्पणियां” शीर्षक से पत्रिका के कुछ पृष्ठ थियोसोफिकल सोसायटी की विभिन्न प्रांतों में चलने वाली गतिविधियों को समर्पित हैं। अंत में वर्ष 2023 के राष्ट्रीय प्रवक्ताओं की सूची उनके नाम, पते और मोबाइल संख्या के साथ दी गई है। कुल मिलाकर पत्रिका जीवन के सुधार की दृष्टि से उपयोगी है।