Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
29 Dec 2022 · 4 min read

*पत्रिका समीक्षा*

पत्रिका समीक्षा
पत्रिका का नाम : अध्यात्म ज्योति
अंक 3, वर्ष 55 ,प्रयागराज, सितंबर – दिसंबर 2022
संपादक: (1) श्रीमती ज्ञान कुमारी अजीत, 61 टैगोर टाउन, इलाहाबाद 211002 फोन 99369 17406
(2)डॉ सुषमा श्रीवास्तव f 9, सी ब्लॉक, तुल्सियानी एंक्लेव, 28 लाउदर रोड, इलाहाबाद 211002 फोन 94518 43915
—————————————
समीक्षक : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451
_________________________
थिओसॉफिकल सोसायटी की सबसे पुरानी पत्रिका “अध्यात्म ज्योति” श्रीमती ज्ञान कुमारी अजीत की कर्मठ साधना का परिणाम है । सोसाइटी से आप लंबे समय से जुड़ी हुई हैं। इस अंक का मुख्य आकर्षण श्रीमती ज्ञान कुमारी अजीत का संस्मरण थियोसॉफिकल राउंड टेबल और स्काउटिंग लेख है । अब उन पुरानी बातों का शायद ही किसी को पता हो । श्रीमती ज्ञान कुमारी अजीत युवावस्था के प्रभात में थियोसोफी राउंड टेबल की सदस्य बनी थीं। उन्होंने लिखा है कि इसकी स्थापना भारत में एनी बेसेंट ने की थी तथा मुझे इसकी सदस्य की दीक्षा वाराणसी में रुक्मणी देवी से प्राप्त हुई थी । रुकमणी देवी थियोसोफी की महान स्तंभ तथा नृत्य के क्षेत्र में विश्व की असाधारण प्रतिभाशाली व्यक्तित्व रही हैं। राउंड टेबल के बारे में श्रीमती ज्ञान कुमारी अजीत अपने लेख में बताती हैं कि जब सन 1875 में थियोसोफिकल सोसायटी की स्थापना हुई थी तो उसके साथ-साथ राउंड टेबल की स्थापना भी हुई, ताकि थिओसोफिकल सोसाइटी भी तेजी से विकसित हो सके । बच्चों से लेकर बड़े तक इसके सदस्य बने । उन्हें विधिवत दीक्षा दी जाती थी । दरअसल ब्रिटेन में काफी पहले किंग ऑर्थर नामक एक व्यक्ति ने युवाओं को साथ लेकर राउंड टेबल की स्थापना की थी । इसका पूरा नाम “किंग ऑर्थर एंड नाइट ऑफ द राउंड टेबल” था। थियोसॉफिकल सोसायटी की राउंड टेबल ऑर्थर से ही प्रभावित थी। स्काउटिंग की स्थापना भी ज्ञान कुमारी अजीत के शब्दों में किंग ऑर्थर के राउंड टेबल से प्रभावित होकर लार्ड बेडेन पावेल ने की थी। इस तरह ऑर्थर राउंड टेबल, थियोसॉफिकल सोसायटी की राउंड टेबल और लार्ड बेडेन पावेल की स्काउटिंग- यह तीनों एक दूसरे से जुड़ा हुआ विचार है। यह सब सदैव सक्रिय रहने वाला समूह था । स्काउटिंग 1909 में भारत आई, लेकिन केवल अंग्रेजों और एंग्लो इंडियन के लिए थी। भारतीय मूल के बच्चे इससे अलग रखे गए। 1913 में एनी बेसेंट ने भारतीय बच्चों के लिए स्काउटिंग की स्थापना की। 1916 में उन्होंने “इंडियन बॉयज स्काउट एसोसिएशन” का गठन किया । “कमल के खिलते हुए फूल पर सूर्य की किरणें, पंचकोणीय सितारे के साथ झंडा बना ।” ज्ञान कुमारी अजीत के अनुसार “किंग” के स्थान पर “देश” शब्द का प्रयोग प्रतिज्ञा में (संभवत पहली बार) किया गया। दलों के नाम भारत के महापुरुषों के नाम पर रखे गए। थियोसॉफिकल सोसायटी ने इन सब कार्यों में सक्रिय रूप से भाग लिया । ज्ञान कुमारी अजीत के अनुसार स्काउट की 10 प्रतिज्ञाएं, रूपरेखा और कार्यप्रणाली भी किंग ऑर्थर के राउंड टेबल से ली गई थीं। यह सब संस्मरण न केवल बहुत मूल्यवान हैं बल्कि दुर्लभ हैं, क्योंकि ऐसे गिने-चुने लोग ही अब बचे हैं जिन्होंने थियोसॉफिकल राउंडटेबल सदस्य के रूप में दीक्षा प्राप्त की होगी ।
पत्रिका में उदयाचल शीर्षक से संपादकीय में डॉ सुषमा श्रीवास्तव ने भगवान बुद्ध की सेवा-भावना का आदर्श सामने रखा है, तो भविष्य में थिओसॉफी का स्वरूप शीर्षक से अपने लेख में थियोसॉफिकल सोसायटी के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष टिम बॉयड ने सेवा की भावना को थियोस्फी का मूल बताया है। लेख का सारांश इन शब्दों में है कि हमें यह समझना है कि संसार में जो कष्ट आता है, वह किसी व्यक्ति विशेष का कष्ट नहीं है बल्कि सब का कष्ट है, क्योंकि एकत्व के सिद्धांत के अनुसार हम विभाजित नहीं हैं।
एक लेख अदृश्य पूर्णता की खोज शीर्षक से है । इसे रिकार्डो लिंडेमेन (जनरल सेक्रेटरी, ब्राजील थियोसॉफिकल सोसायटी) ने लिखा है तथा डॉ सुषमा श्रीवास्तव ने अनुवाद करके प्रस्तुत किया है । पूर्णता इस ब्रह्मांड में अदृश्य ही रहती है; यह लेख का केंद्रीय विषय है। विभिन्न वैज्ञानिक विचारों के क्रम में लेख बताता है कि संसार में अपूर्णता, सीमितता और विरोधाभास का मुख्य कारण यह है कि ब्रह्मांड उन कणों से निर्मित है जो अभी भी विकसित हो रहे हैं और उनमें अदृश्य पूर्णता की संभावना है ।
एक लेख कमल के फूल की अनासक्त प्रवृत्ति पर कमल और उसका महत्व शीर्षक से प्रोफेसर गीता देवी द्वारा लिखा गया है । कीचड़ और कमल दोनों से अलग रहने की कमल की खूबी ने इसे किस तरह से संसार के सभी धर्मों में अनुकरणीय स्थान प्रदान किया है, लेख इस पर प्रकाश डालता है।
एक रूपक रवि रश्मि ने जन्म एक रोशनी का राधा बर्नियर शीर्षक से लिखा है । इसे राधा बर्नियर के जन्मदिवस पर प्रस्तुत किया जा चुका है। इसकी प्रतिभागी महिला धर्म लॉज इलाहाबाद है । निर्देशक श्रीमती स्नेह ज्योति कीर्ति हैं। राधा बर्नियर थियोसॉफिकल सोसायटी की सातवीं अंतर्राष्ट्रीय अध्यक्ष 1980 से 2013 तक रहीं। आप थिओसॉफिकल सोसाइटी के अध्यक्ष श्री एन. राम की पुत्री थीं। काव्यात्मकता से ओतप्रोत यह रूपक राधा बर्नियर के जन्म से लेकर जीवन के विविध सेवा कार्यों तथा कलात्मकता के सद्गुणों को व्यक्त करता है।
पत्रिका के अंत में विभिन्न नगरों में थियोसॉफिकल सोसायटी की गतिविधियों का विवरण दिया गया है। छपाई अच्छी है । प्रूफ रीडिंग प्रायः निर्दोष है । कवर आकर्षक है । राधा बर्नियर का चित्र दैवी आभा से दीप्त है । संपादक द्वय बधाई के पात्र हैं।

Language: Hindi
285 Views
Books from Ravi Prakash
View all

You may also like these posts

■ नेक सलाह। स्वधर्मियों के लिए। बाक़ी अपने मालिक को याद करें।
■ नेक सलाह। स्वधर्मियों के लिए। बाक़ी अपने मालिक को याद करें।
*प्रणय*
लहसुन
लहसुन
आकाश महेशपुरी
जीवन साथी,,,दो शब्द ही तो है,,अगर सही इंसान से जुड़ जाए तो ज
जीवन साथी,,,दो शब्द ही तो है,,अगर सही इंसान से जुड़ जाए तो ज
Shweta Soni
भ्रष्टाचार
भ्रष्टाचार
Juhi Grover
माहिया छंद विधान (पंजाबी ) सउदाहरण
माहिया छंद विधान (पंजाबी ) सउदाहरण
Subhash Singhai
भारत का लाल
भारत का लाल
Aman Sinha
गीत- कोई एहसास दिल भरदे...
गीत- कोई एहसास दिल भरदे...
आर.एस. 'प्रीतम'
छाले पड़ जाए अगर राह चलते
छाले पड़ जाए अगर राह चलते
Neeraj Mishra " नीर "
4121.💐 *पूर्णिका* 💐
4121.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
ममता का सागर
ममता का सागर
भरत कुमार सोलंकी
वो हमसे पराये हो गये
वो हमसे पराये हो गये
Dr. Man Mohan Krishna
मंगलमय हो आपका विजय दशमी शुभ पर्व ,
मंगलमय हो आपका विजय दशमी शुभ पर्व ,
Neelam Sharma
लड़की की जिंदगी/ कन्या भूर्ण हत्या
लड़की की जिंदगी/ कन्या भूर्ण हत्या
Raazzz Kumar (Reyansh)
मेरे पास फ़ुरसत ही नहीं है.... नफरत करने की..
मेरे पास फ़ुरसत ही नहीं है.... नफरत करने की..
shabina. Naaz
मुश्किलों से हरगिज़ ना घबराना *श
मुश्किलों से हरगिज़ ना घबराना *श
Neeraj Agarwal
घरेलू आपसी कलह आज बढ़ने लगे हैं...
घरेलू आपसी कलह आज बढ़ने लगे हैं...
Ajit Kumar "Karn"
टूटते सितारे से
टूटते सितारे से
हिमांशु Kulshrestha
-तेरे प्रेम का कोई मोल नही है -
-तेरे प्रेम का कोई मोल नही है -
bharat gehlot
नहीं होते यूं ही रिश्तें खत्म
नहीं होते यूं ही रिश्तें खत्म
Seema gupta,Alwar
ये दुनिया
ये दुनिया
DR ARUN KUMAR SHASTRI
नव प्रस्तारित सवैया : भनज सवैया
नव प्रस्तारित सवैया : भनज सवैया
Sushila joshi
कहानी का ऐसा किरदार होना है मुझे,
कहानी का ऐसा किरदार होना है मुझे,
पूर्वार्थ
कविता ---- बहते जा
कविता ---- बहते जा
Mahendra Narayan
बड़े बुजुर्गों ,माता पिता का सम्मान ,
बड़े बुजुर्गों ,माता पिता का सम्मान ,
ओनिका सेतिया 'अनु '
जीना होता आज
जीना होता आज
महेश चन्द्र त्रिपाठी
This is Today
This is Today
Otteri Selvakumar
"मेरा साथी"
ओसमणी साहू 'ओश'
शब्द
शब्द
Mandar Gangal
*बहुत जरूरी बूढ़ेपन में, प्रियतम साथ तुम्हारा (गीत)*
*बहुत जरूरी बूढ़ेपन में, प्रियतम साथ तुम्हारा (गीत)*
Ravi Prakash
भारत प्यारा देश हमारा
भारत प्यारा देश हमारा
Jyoti Roshni
Loading...