पत्नी भक्ति
एक बार मैं किसी जिले के अस्पताल ओपीडी में मैं बैठा था तभी जनाना अस्पताल का वार्ड बॉय एक परेशान हाल व्यक्ति के साथ भागता हुआ एक आकस्मिक कॉल लेकर आया । मैंने दौड़ते हुए वार्ड में जाकर पाया कि एक महिला ऑपरेशन से बच्चा पैदा होने के कुछ देर बाद वार्ड में आकर हालत उसकी हालत नाज़ुक हो गई थी और मेरे वहां पहुंचने तक उसकी मृत्यु हो चुकी थी । उसके आसपास अस्पताल के कई कर्मचारियों की भीड़ जमा थी और संभवत उन लोगों ने आकस्मिक परिस्थितियों में महिला चिकित्सकों पर जबरदस्ती दबाव डालकर उसका ऑपरेशन करवाया था । ऐसी आकस्मिक परिस्थितियों में महिला शल्य चिकित्सकों के पास बिना जांचों के उनके दबाव में आकर उसका ऑपरेशन करने के अलावा और कोई रास्ता नहीं होता । उसके पति ने बदहवास हालत में मुझसे कहा
डॉ साहब कुछ कीजिए इन्हें बचा लीजिए , आप पहचान रहे हैं मुझे , इनकी छोटी बहन को लेकर मैं आपके पास इलाज़ के लिए लाया करता था ?
मैं उसके पति के चेहरे को पहचान रहा था जो अक्सर एक M V P ( mitral valve prolapse ) वाली एक लड़की को मुझे दिखाने लाया करता था । यह ऐसा रोग होता है जिसमें मरीज को इस रोग के कारण उत्पन्न तकलीफ कम होती है पर मानसिक रूप से दिमागी उलझन बेचैनी की हालत में अधिक रहती है । मैं उसे सांत्वना देते हुए तथा उन सबके सम्मुख अपनी एवम साथी चिकित्सकों की मजबूरी जताते हुए उसे मृत घोषित कर वापस आ गया । पार्श्व से मुझे चिकित्सकों के विरुद्ध वहां उपस्थित भीड़ के द्वारा लगाए जाए लगाए जा रहे नारे सुनाई दे रहे थे । वे लोग चिकित्सकों को धमकियां भी दे रहे थे ।
इस घटना के कुछ माह बीत जाने के बाद एक दिन जब मैं बाजार से गुज़र रहा था एक व्यक्ति ने मेरे पीछे से आकर मेरे सामने अपना स्कूटर तेजी से रोक कर मेरा रास्ता रोक लिया और इससे पहले मैं उसे पहचान पाता वह बोला
‘ क्या आप बता सकते हो उस दिन मेरी पत्नी का ऑपरेशन किस डॉक्टर ने किया था ? उसका पता क्या है ? किस डॉ ने उसे नशा दिया था ? उसका पता क्या है ? उसको मारने में और किन-किन लोगों का हाथ है मुझे अभी बताइये मैं किसी को नहीं छोडूंगा एक एक को चुन चुन कर गोली से मार दूंगा । ‘
मैं समझ गया यह वही ऑपरेशन के बाद मरने वाली महिला का पति है । मैंने असहज होते हुए अपने चेहरे पर अति व्यस्तता के भाव प्रदर्शित करते हुए अपने स्कूटर पर लटके सामान को व्यवस्थित करते हुए उसे सांत्वना देते हुए कहा
‘ जो होना था वह हो चुका है और इसमें इसी चिकित्सक की गलती नहीं है हमारे व्यवसाय में किसी भी मरीज की अचानक मृत्यु हो सकती है । किसी इलाज में अनेक ज्ञात एवं अज्ञात कारणों से मरीज की अचानक मृत्यु हो हो सकती है , फिर भी ठीक है यह प्रदर्शित करने करते हुए कि ठीक है तुम मार देना उन सारे डॉक्टरों को गोली है मैं पता करके बताऊंगा कहते हुए मैं एक बगल होकर आगे बढ़ गया ।
इस घटना के बाद फिर कुछ समय बीत गया । एक दिन मैं अपनी नौकरी से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति प्राप्त कर जीवन व्यापन हेतु अपने अस्पताल की ओपीडी में बैठा था , कि वही व्यक्ति एक दिन सजी-धजी युवती के साथ प्रस्तुत हुआ और बोला
डॉक्टर साहब यह वही मेरी पिछली पत्नी की छोटी बहन मेरी साली हैं जिन्हें आप देखा करते थे । मैंने इनसे अब शादी कर ली है आप कृपया इनको ठीक से देखकर और भर्ती कर इनका उपचार कीजिए । आप ही के द्वारा इनका पहले भी इलाज़ चलता था । मैं अपने जीवन में अपनी इस पत्नी के लिए कोई खतरा मोल नहीं ले सकता । अब इसे ठीक करने की गारंटी एवम ज़िम्मेदारी आपकी है । ‘
मैंने उसकी भर्ती कराने की बाध्यता को देखते हुए उसे एक प्राइवेट कमरे में भर्ती कर दिया और कुछ उसकी उलझन बैचैनी का इलाज दिलवा दिया । जब कभी मैं उनके कमरे में राउंड पर जाता तो उन्हें अजीबोगरीब परिस्थितियों में लिप्त पाता था । कभी वह महिला अनमने भाव से उसके हाथों से चम्मच से छोले चावल , भटूरे आलू की टिकिया चाट इत्यादि खा रही होती थी तो कभी दौड़ दौड़ कर उसके लिए शीतल पेय अथवा मुसम्मी अनार का जूस इत्यादि उसके हाथों से नाज नखरे दिखा दिखा कर पी रही होती थी ।कभी उससे बाम लगवा कर अपना सर दबवा रही होती थी तो कभी वह उसके पैर दबा रहा होता था । उस व्यक्ति ने अपने बाल रंग कर , जीन्स – टी शर्ट आदि से अपने पहनावे और रंग ढंग को बदल कर एक युवा की जीवन शैली में ढालने का असफल प्रयास किया था । इस बार पिछली पत्नी की उसने मुझसे कोई चर्चा नहीं कि , बस अपनी नवेली वधू की चरण सेवा में लगा रहा और वह उसी में पसन्न हो कर अपना इलाज करवाती रही , मेरा काम आसान हो गया था । उसके हृदय में प्रेम रस की अविरल बहती धारा ने चिकित्सकों के विरुद्ध धधकती द्वेष की ज्वाला को शांत कर दिया था । अब लगता है उसकी वास्तविक समस्या उसकी जिंदगी में पत्नी का आभाव था और तू नहीं और सही और नहीं और सही के सिद्धान्त के चलते कमसेकम चिकित्सकों की जान तो बच गयी । उसका सारा पत्नी के प्रेम , सत्यनिष्ठा , भक्ति उसके दूसरे विवाह तक ही सीमित थी जबकि समस्या का हल दूसरे विवाह में निहित था और वो बेकार में चिकित्सकों के विरूद्ध बंदूक लिये भटक रहा था ।
उसकी इस पत्नी भक्ति देखकर मुझे मुगलकालीन बादशाह शाहजहां की स्मृति ताज़ा हो गई । वह भी अपनी पत्नी को बहुत प्यार करता था और उसकी याद में मैं ताज़महल बनवाकर उसकी बहन से विवाह रचाया था ।