“पत्थर”
पत्थर के घर में रह के पत्थर दिल बने है लोग अब।
थोड़े से पैसो के लिये क़ातिल बने है लोग अब।।
करता न पहले जैसा आदर मान अब कोई यहां।
सदभाव अपने छोड़ कर जाहिल बने है लोग अब।।
सुरेंदर इंसान
सिरसा
हरियाणा
पत्थर के घर में रह के पत्थर दिल बने है लोग अब।
थोड़े से पैसो के लिये क़ातिल बने है लोग अब।।
करता न पहले जैसा आदर मान अब कोई यहां।
सदभाव अपने छोड़ कर जाहिल बने है लोग अब।।
सुरेंदर इंसान
सिरसा
हरियाणा