–: पत्थर :–
–: पत्थर :–
पत्थरों, पेड़ों, नदी को पूजते
प्रकृति का संरक्षण हमारा मंत्र है
ईश्वर की प्रार्थना कैसे भी करें
सनातन में हर कोई स्वतंत्र है
पत्थरों से मूर्तियां हमने गढ़ीं
अनगिनत छवियाँ भी उकेरी गयीं
साकार को पूजें या माने निराकार
न बंधन, न विवशता थोपी गयीं
पत्थरों से ही देवालय बने
शिल्प और सौंदर्य अद्वितीय हैं
मनन, चिंतन,सत्संग के लिये
शांति के स्थल अतुलनीय हैं
पत्थरों ने लेकिन सोचा न था
कल ये ऐसे हाथ में भी जाएंगे
तोड़कर फेंकेंगा इंसा की तरफ
जख्म, गहरे घाव ये दे जाएंगे