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9 Nov 2021 · 1 min read

पत्थर पावन तुम्हें प्रणाम है (गीत)

पत्थर पावन तुम्हें प्रणाम है (गीत)
■■■■■■■■■■■■■■■■■
सौ – सौ बार नींव के पत्थर पावन तुम्हें प्रणाम है
(1)
सोचो वह थे कौन भवन जिनके कारण बन पाया
सोचो वह थे कौन अमर जिनकी अब भी यश-काया
सोचो वह थे कौन बना इतिहास नहीं इतराए
सोचो वह थे कौन मौन जो आजीवन थे पाए
वंदन उनको वीर – कार्य जिनका अब भी गुमनाम है
सौ – सौ बार नींव के पत्थर पावन तुम्हें प्रणाम है

(2)

तुम थे चाँद दूज के लेकर आए पतली रेखा
वर्तमान का वैभव सत्ता का सुख कभी न देखा
सिर्फ तुम्हारे दम पर ही यह नभ की चमक टिकी थी
तुम वह साहस भरी तूलिका थे जो नहीं बिकी थी
ध्वज फहराता हुआ शिखर पर धन्य तुम्हारा काम है
सौ – सौ बार नींव के पत्थर पावन तुम्हें प्रणाम है
°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°
रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश )
मोबाइल 99976 15451

Language: Hindi
Tag: गीत
296 Views
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