पति परमेश्वर से कुछ ज्यादा
अब तुम,
पति परमेश्वर से
कुछ ज्यादा
दोस्त हो गए हो मेरे ,
जैसे किसी
बचपने से
निकल रहा है
हमारा रिश्ता,
और ले रहा है ,
एक नया मोड,
जिसमें हम
अधिक सहज और
अधिक स्वाभाविक हैं।
तुम्हें मेरी परवाह है
ये मैं जानती हूं
और तुम मेरे सब कुछ हो,
ये पता है तुम्हें ।
अब तुम्हें रिझाने के लिए
किसी सौंदर्य प्रसाधन
की जरूरत नही
महसूस होती है मुझे,
बस चाहती हूं
कि मेरा तुम्हारे प्रति प्रेम ही
सौंदर्य बने मेरा,
और मेरी शीतलता
ही हो मेरा अलंकार,
घर में पायल की रुमझुम
हो न हो
पर खनकती रहे
हंसी की खनक
और मधुर मुस्कान ही
हो सच्चा शृंगार,
तुम अब
पति परमेश्वर से
कुछ ज्यादा
दोस्त हो गए हो मेरे